बुधवार, 25 मई 2016

पागा कलगी-10 //ललित साहू "जख्मी"



"एक बिता के पेट"
एक बिता के ये पेट बैरी
दुनिया भर ला नचावत हे
भगवान बन ये नोनी हा
सियान ला भात खवावत हे
जतकी समाज आघु बढत हे
ततकी भुखमरी हमावत हे
एक कांवरा के भात बर
शरीर, ईमान घलो बेचावत हे
काकरो घर के चुल्हा जुडाय
काकरो घर कलेवा फेंकावत हे
गरीब के लईका भुख मा मर गे
अमीर खा-खा के बिमारी बुलावत हे
छट्ठी,मरनी,बिहाव के बांचे भात ला
कुकुर घुरवा मा बइठ के खावत हे
कम झन परे भले फेंका जाय
कही के मनखे सान बतावत हे
ये नोनी तो सियान ला खवइस
तुमन के झन ला खवाये हव
मनखे बन के जनम धरे हो
का मनखे के फरज निभाय हो?
चलो आज सब परन करबो
भुख मा कोनहो ला नई मरन दन
हमर राहत ले कोनहो गरीब के
यमराज ला परान नई हरन दन
ललित साहू "जख्मी"
ग्राम-छुरा / जिला-गरियाबंद(छ.ग.)
9144992879

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