बुधवार, 25 मई 2016

पागा कलगी-10//अशोक साहू, भानसोज


मनखे जनम ल पाके संगी
मनखे के सेवा बजा ले।
नर सेवा नारायण सेवा कईथे
ईही करम अपना ले।।
पियासे ल पानी पिया दे
लांघन ल खवा दे भात।
गरीब ह घला तो मनखे ए
झन मार ओला लात।।
पईसा होय ले कोनो अमीर नई होवय
दिल ले होवय धनवान।
गिरे थके के दुख ल हरथे
उही ओकर बर भगवान।।
दुवारी म आथे कोनो गरीब
लांघन भूखन पियासा।
झन करबे निराशा ओला
तोरे ले लगाए हे आशा।।
संसकार अइसन घर घर म होय
सिखय सुघ्घर सेवा भाव।
अमीर गरीब के गड्ढा पाटय
दीन हीन बर राहय लगाव।।

अशोक साहू, भानसोज

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