मंगलवार, 12 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7//गरिमा गजेन्द्र

मोर शितला मईया
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जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
तोर अंगना मा लहरावत हे दाई
जोत जवारा वो,
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
सब के पालन करईया दाई
दुःख पीरा के दाई तही हरईया वो
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
गरिब के तै महतारी दाई
किसान के नुन बासी खवईया वो
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर.
अभागिन के भाग चिनहईया
दीदी महतारी के कोरा भरईया वो
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
गांव के रखवारी करईया दाई
तरिया पार मा बैइठे हस तै दाई वो
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
लीम के छंइहा तोला भाथे दाई
फूल मोंगरा तोला चढावत हो दाई वो,
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर
रोवत रोवत सब आथे तोर दुवारी
हासत हासत झोली भर सब जाथे वो
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
सबके आंसू पोछईया दाई
सबके पीरा हरईया वो
सब बर तै सुख बरसाये मईया
मोरो बिनती सुन ले दाई
गरिमा तोर बेटी वो
मोरो झोली भर दे वो मईया
आयेव तोर दुवारी वो,
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर
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रचना - गरिमा गजेन्द्र
सरोना रायपुर छत्तीसगढ़

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