गुरुवार, 7 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

"जेवारा"
जेवारा म रचे बसे,
मोर दाई तोर मया दुलार।
जेवारा म रचे बसे,
महामाई तोर मया दुलार।
मनउती मन के थारी लगायेव,
तन कर माटि धरायेव ओ।
पिरित के दाई बीजा बोवायेव,
सरद्धा के पानी छिचायेव ओ।
तोर आसिस के छईहा ल पाके,
बाढ़े मोर संसार...
जेवारा म रचे बसे,
मोर दाई तोर मया दुलार।
चइत शुक्ल के महिना आगे,
बोंआगे जेवारा ओ।
खूशी बगरगे चारो कोति,
घर अंगना अउ पारा ओ।
तोर सुवागत करे के खातिर,
फूलगेहे लिमवा के डार...
जेवारा म रचे बसे,
मोर दाई तोर मया दुलार।
तोर किरपा अइसे होय दाई,
हंसत गुजर जय साल ओ।
किसान के संसो दूर हो जावय,
जउहर परे दुकाल ओ।
मन म ओकर खूशी अमाजय,
घर अंगना उजियार ...
जेवारा म रचे बसे,
मोर दाई तोर मया दुलार।
जेवारा म रचे बसे,
महामाई तोर मया दुलार।
रचना:---सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
शिक्षक पंचायत
गोरखपुर,कवर्धा
मोबा. ९६८५२१६६०२

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