सोमवार, 11 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7 //मिलन मलरिहा

विषय - ‘जेवारा‘ (छत्तीसगढ़ मा नवरात्रि तिहार)
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जोत—जेवारा जगमग निकले, आगे नवरात चइत म
मांदर—मजीरा झांझ बोलत हे, माता के जसगीत म...
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अमरईया म आमा झुलतहे, अऊ गंगा—अमली खार म
कोयली कुहकत संगे बनकुकरा, शितला के दरबार म
लंगुरे आए नरियर परसाद खाए, बदक—कऊवां बीच म
जोत—जेवारा जगमग.........................................
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भीड़ उमड़गे भगत सरधालु, दाई तोर रतनपुरे—मल्हारे म
पंडा नाचय बर्इ्गा गावय, जीभ छेदाएं बरछी—धारे म
भगतीन झुपय साटी झोकय, चढ़े दाई मांदरताल गीत म
जोत—जेवारा जगमग..........................................
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तेल—घीव के जोत जलत हे, मनदिर घर—घर दुवारे म
हरियर पिवरा दिखे जेवारा, दाई के अचरा बसे रुप म
अड़बड़ हे उपास रहईया, नवदुरगा नवरात के रीत म
जोत—जेवारा जगमग.........................................
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संझाा बिहनिया भगत रमे हे, दरसन बर खड़े कतार म
सरग समागे अइसे लागे, उतरे हे चंदा—सुरुज मनदिर म
भियां नापत कई—कोस आथे, चढ़ाथे बदना पूरा होत म
जोत—जेवारा जगमग.........................................
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मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

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