रविवार, 15 मई 2016

पागा कलगी 9 //लक्ष्मी नारायण लहरे ' साहिल'

लैकाई के सपना
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अबड सुरता आथे, मोर अंगना
बरसा के पानी
ओरछा के पानी
सडक के पानी
तरिया के पानी
नदागे सब रुख राई
बर- पीपर नदागे
संगवारी घलो भुलागे
लैकाई के सपना
अबड सुरता आथे ,मोर अंगना
बबा के चोंगी
बैला गाडी नदागे
घर के डेकी अउ जाता लुकागे
का ज़माना आगे रे संगी
पड़ोसी ह बैरी होगे
सुख दुःख म कोनो पुछारी नीइये
संगी जहुरिया के मितानी नीइये
काला अपन लैकाई के सपना ल सुनाबो
इहाँ सच के ज़माना नीइये
लैकाई के सपना
अबड सुरता आथे, मोर अंगना
० लक्ष्मी नारायण लहरे ' साहिल'
युवा साहित्यकार पत्रकार
वर्तमान पता - बघौद ,तहसील -डभरा , जांजगीर
स्थाई पता - डा अम्बेडकर चौक कोसीर ,सारंगढ़, रायगढ़
मो० ९७५२३१९३९५

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