शनिवार, 14 मई 2016

पागा कलगी 9//देव हीरा लहरी

गरमी मे हाहाकार
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गरमी ले जम्मो कोती
अब्बड़ मचत हे हाहाकार
जईसे सुरूज देवता ह
गुस्सा म करत हे ललकार

बहुत होगे प्रभु दिखा जा
अपन कुछू चमत्कार
अब तो हमरो ईही कहना
हे ये मउसम हे बेकार
सबो झन झांझ ले बचे
के कर लव बने धियान
घाम म घर ले झन
निकलहु लईका,सियान
अतेक कलकल गरमी
ले कब मिलही निदान
लु लग जाही घाम म
जादा झन घुमबे मितान
चिरई चुरगुन मरत हे
झन कर प्रभु अतेक आहत
भगादे प्रभु गरमी ल देजा
जिनगी म कुछू राहत
गरमी म तीप गेहे मोर
नाक मुह अऊ कान
अब कतेक ल लिखव में
होगे हव हलाकान
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रचना - देव हीरा लहरी
चंदखुरी फार्म रायपुर

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