बिसय: देस बर जीबो देस बर मरबो
देस बर जीबो देस बर मरबो, देस ल जबर बनाबो रे
बीते बरस के जगतगुरू ल,फेर पागा पहिराबो रे
बीते बरस के जगतगुरू ल,फेर पागा पहिराबो रे
ललकारत हे पाकिस्तान,चीन खडे हे छाती तान
कस्मीर अउ अरूनाचल म, जबरन बईठे हे बेईमान
अईसन सांप-छछूंदर मन ल, कूचर-कूचर के जलाबो रे
देस बर जीबो देस बर मरबो, देस ल जबर बनाबो रे
कस्मीर अउ अरूनाचल म, जबरन बईठे हे बेईमान
अईसन सांप-छछूंदर मन ल, कूचर-कूचर के जलाबो रे
देस बर जीबो देस बर मरबो, देस ल जबर बनाबो रे
हुतकारत हे आज परधान, फूफकारत हे गबरू-जवान
जुरमिल देस ल टीप लेगेबर, जबर जोस संग धरे कमान
अईसन देस के अघुवा मन ल, कांध-मुडी म चढाबो रे
देस बर जीबो देस बर मरबो, देस ल जबर बनाबो रे
जुरमिल देस ल टीप लेगेबर, जबर जोस संग धरे कमान
अईसन देस के अघुवा मन ल, कांध-मुडी म चढाबो रे
देस बर जीबो देस बर मरबो, देस ल जबर बनाबो रे
गडियाथे झंडा मंगलयान, सहराथे दुनिया के बिग्यान
ब्रम्होस हे ब्रम्हास्त्र बरोबर, बोफोर्स धरे हे अग्निबान
अईसन देस के गरब हवय त, काबर नई इतराबो रे
देस बर जीबो देस बर मरबो,देस ल जबर बनाबो रे
बीते बखत के जगतगुरू ल, फेर पागा पहिराबो रे
ब्रम्होस हे ब्रम्हास्त्र बरोबर, बोफोर्स धरे हे अग्निबान
अईसन देस के गरब हवय त, काबर नई इतराबो रे
देस बर जीबो देस बर मरबो,देस ल जबर बनाबो रे
बीते बखत के जगतगुरू ल, फेर पागा पहिराबो रे
रचना:- ललित वर्मा,"अंतर्जश्न"
छुरा
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