शुक्रवार, 19 अगस्त 2016

पागा कलगी-15 //29//आशा देशमुख

| देश बर जीबो देश बर मरबो |
बैरी बैरी सब कथे ,असली बैरी कौन |
घर मा बइठे भेदिया ,देश ल बेचय जौंन ||
ये माटी चंदन अय भइया ,माथ म अपन लगावव |
पहली तो घर के बैरी ला ,कसके धूर चटावव |
जेन करय दाई के सौदा ,वो सपूत का होही |
मुड़ी मुड़ाके गली घुमावव ,तर बत्तर वो रोही |
ज्ञान रतन भंडार भरे हे ,ये भारत भुंइया मा |
रहना चाहे सब दुनियाँ हा , येकर गा छइहाँ मा |
आगी बर आगी बन जावव ,पानी बर गा पानी |
झन करन देवव अब बैरी ल ,अपन इहाँ मनमानी |
भारत भुइयाँ के सब लइका , सब मिल मान बढ़ावव |
एकर रक्षा के खातिर सब,सरबस अपन लुटावव |
ये धरती मा जनमे हावे ,सरग के जम्मो देवता |
जइसे लागे पाये हावे,झारा झारा नेवता |
जतका इहाँ जयचंद लुकाए,खोज खोज के मारव
इकर बंधना ले धरती ला ,सब मिल के मुक्तावव |
ये दाई झन कर तै चिंता ,तोरे सेवा करबो |
तोरे अंचरा मा हम जीबो ,तोर पँउरी म मरबो |
, जय हिन्द जय भारत,
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
छत्तीसगढ़

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