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सोमवार, 11 जुलाई 2016

पागा कलगी-13 /24/सुखन जोगी

माटी के मितान -
गोहार माटी के
सुन रे बदरा कारी
मोर गोहार हे भारी
तैं जम के बरसा पानी
मोर मितान करही किसानी
झन करबे एसो नदानी
भरपुर देबे रे पानी
बिन पानी चले नई जिनगानी
फेर कईसे होही किसानी
मोर बात के रखले तैं मानी
घटा घनघोर बरखा रानी
माटी ले माटी मिल करथे किसानी
मितान ले करहूं मितानी
नई भुखन मरन दंव नानहे लईका
सुनले खुलन नई दंव मै अकाल के फईका
घोर घोर गिरबे देहे बियासी
झन लेवय मोर मितान कोनहो मेर फांसी
दिन रात तन घुरो पछीना बोहाथे
नई देखय अपन दुख मोर सेवा बजाथे
देहंव मेहनत के फर महूं भरपुर
आबे रे बदरा तहूं लुहुर तुहुर
तहुं करले परमारथ के काम
संग दे मोला मेहनत के देहे म दाम
तोर ले नही त काखर ले गोहरांव
लिही किसनहा भईया तोर नांव
पकोबे बने घन घन ले सोनहा बाली
मितान घर आवय बने खुसहाली
मनावन देबे खुस होके होरी अऊ देवारी
झन परय दुकाल रे बरखा एसो के दारी
® - सुखन जोगी
डोड़की , बिल्हा बिलासपुर
७/७/१६

रविवार, 10 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/23/महेन्द्र देवांगन "माटी"

माटी मोर मितान 
****************
सुक्खा भुंइया ल हरियर करथंव, मय भारत के किसान 
धरती दाई के सेवा करथंव, माटी मोर मितान ।


बड़े बिहनिया बेरा उवत, सुत के मय ऊठ जाथंव
धरती दाई के पंइया पर के, काम बुता में लग जाथंव


कतको मेहनत करथों मेंहा, नइ लागे जी थकान
धरती दाई के सेवा करथंव, माटी मोर मितान ।


अपन पसीना सींच के मेंहा, खेत में सोना उगाथंव
कतको बंजर भूंइया राहे, फसल मय उपजाथंव 


मोर उगाये अन्न ल खाके, सीमा में रहिथे जवान
धरती दाई के सेवा करथंव , माटी मोर मितान ।


घाम पियास ल सहिके मेंहा, जांगर टोर कमाथंव
अपन मेहनत के फसल ल, दुनिया में बगराथंव 


सबके आसीस मिलथे मोला, कतका करों बखान
धरती दाई के सेवा करथंव, माटी मोर मितान ।


धरती दाई के सेवा करके, अब्बड़ सुख मय पाथंव
कोनों परानी भूख झन मरे, सबला मेंहा खवाथंव


सबके पालन पोसन करथों, मेहनत मोर पहिचान
धरती दाई के सेवा करथंव, माटी मोर मितान ।


रचना
महेन्द्र देवांगन "माटी"
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला -- कबीरधाम
8602407353

पागा कलगी-13/22/*कन्हैया साहू "अमित"*

माटी के मितान~हमर किसान
************************
करम किसानी , कमिया किसान ।
माटी के मयारू , माटी के मितान ।
करम किसानी , कमिया किसान ।।
माटी के मयारू , माटी के मितान ।।
परमारथ के नाँव किसानी ,
अनदाता तैं जग बर दानी ।
जाँगर टोर महिनत तोर ,
माटी के संग तैं बदे मितानी ।।
माटी तोर गरब , माटी गुमान ।
माटी के मयारू ,माटी के मितान ।।
करम किसानी , कमिया किसान ।।१
तहीं मालिक , तहीं भुतियार ,
तोर धनहा डोली खेत खार ।
भुखे पियासे लाँघन कमा के ,
बन्जर म बगराये बहार ।।
अखन आसरा , तैं नवा बिहान ।
करम किसानी , कमिया किसान ।।
माटी के मयारू , माटी के मितान ।।२
नइ जीयाने तोला जाङ घाम ,
नून फुटे तभे चमके चाम ।
भुँईयाँ के सरवन कुमार ,
खेती किसानी तोर चारों धाम ।।
माटी तोर पूजा , माटी भगवान ।
माटी के मयारू , माटी के मितान ।।
करम किसानी , कमिया किसान ।।३
धरती दाई ला तैं सवाँर ले ,
अपन जिनगी ला खुवार दे ।
झन कर काखरो आस इहाँ ,
लहू पछीना के तैं फुहार दे ।।
माटी तोर चोला , माटी हे परान ।
करम किसानी , कमिया किसान ।।
माटी के मयारू , माटी के मितान ।।४
सुन्ता सुमत के संगी सिधवा ,
छत्तीसगढ के तहीं बरूवा ।
बैरी बिपत बर बिजार तैं ,
लगवार के दुलरू गरूवा ।।
कतका करंव "अमित" बखान ।
माटी के मयारु , माटी के मितान ।।
करम किसानी , कमिया किसान ।।५
*************@************
*कन्हैया साहू "अमित"*
हथनीपारा~भाटापारा
जिला~बलौदाबाजार.छ.ग.
संपर्क~9753322055
*************©**************
©opyright ®eserved
**************@***************
@पागा कलगी~ला पयलगी@

पागा कलगी-13/20/गोपी मनहरे

अंतरा
 मै किसान सुन जवान सुख दुख भरे कहानी
जनम जनम बर बदेव जी संगी माटी मोर मितानी
पद (1) 
ये लहरा कस मोर सपना छत्तीस छत्तीस टुट जाथे
आसमान ले उड़ के संगी पर्वत घलो टकराथे
लय। धरती दाई के सेवा म भईया। कर देबो कुर्बानी
जनम जनम बर बदेव.......
पद(2) 
जांगर टोर करे कमाई धरती के सेवा बजाये
ये माटी हे मोर मितानी माटी ल माथ नवाये
लय। खीर तसमई कस लागे संगी। ईहा के चटनी बासी
जनम जनम बर बदेव........
पद(3) 
हरियाली ल देखके संगी मन झुमर झुम जाथे
अन कुवारी जब हो जाथे कोठी घलो भर जाथे
लय। लागे सुग्घर मन ह संगी। जइसे नदीया के पानी
जनम जनम बर बदेव........
मै किसान सुन जवान सुख दुख भरे कहानी
जनम जनम बर बदेव जी संगी माटी मोर मितानी
रचना। गोपी मनहरे
गांव। पथरपुंजी
जिला। बेमेतरा
नं। 9098519146

पागा कलगी-13/19/हीरालाल गुरूजी"समय"

"माटी के मितान किसान"
एक गांव म गजबेच बच्छर हो गे पानी नई बरसिस।
भुईयां सुखागे रूखराई के पत्ता झर गे डारा खांधा
सुखागे पीये के पानी घलाव नई मिले लागिस तब वो
गांव के सबो झन मंदिर के पुजारी कर पंचांग बिचारे
बर गईन।महराज बिचार के बताईस कि न ए बच्छर अऊ अवईया तीन बच्छर ए गांव म पानी नई गिरय।
ओकर गोठ ल सुनके गांव के किसान अपन जिनगी
चलायबर कमाय खाय परवार ले के एती-ओती
आन-आन गांव चल दिन ।गांव सुन्ना होगे फेर उही गांव
के एक किसान ह वो गांव ल छोड़के नई गिस।
पानी नई बरसय तभो वो अपन खेती भुईयां म
नांगर जोतय। एक दिन बादरदेवता मेघराज घुमत-घुमत
वो किसान ल अपन भुईयां म नांगर जोंतत देखिन बड़
अचरज मानिन वोकर तीर म आके पूछिस- कस गा
किसान ये गांव म तीन बच्छर पानी नई गिरय ऐला सुने
नई हस काय?एकरे सेती इहां के सबो किसान गांव छोड़के
आन गांव चल दिन। फेर तैं काबर बिरथा जांगर खईता
खेती ल जोंतत हस । किसान मेघराज ल कहिस- मैं
सबो ल जानथौं फेर तीन बच्छर ये भुईयां म नांगर नई
चलाहूं त तीन बच्छर पाछू नांगर जोतेल भुला जाहूं।
अपन काम ल भुलाव झन एकर सेती नांगर जोतत हंव
किसान के अतका गोठ सुनके मेघराज
"गजब-सुघ्घर, गजब-सुघ्घर" काहत सोचेबर धर लिस
अइसने महुं तीन बच्छर पानी बरसे बर छोड़ देहूं त
अपन काम पानी बरसेबर भुला जहूं। जईसे किसान के
मितानी ये माटी संग हे मोरो मितानी उही भुईयां ले हावय।
मैं अभी बरसत हौं कहीके अपन अऊ करिया बादर मन ल बलाके गोहार करिस "तुमन बरसव"
फेर सुघ्घर पानी बरसे लागिस आन गांव ले किसान
लहुटय लगिस अपन मितान भुईयां म बुता करे लागिन
थोकिन बेरा म भुईयां
हरियर हरियर दिखे लागिस। सबो झन
वो किसान ल माटी के मितान कहे लागिन।।
---------------------------------------------------------------------
संकलन/अनुवाद
हीरालाल गुरूजी"समय"
ग्राम- छुरा जिला-गरियाबंद
मोबा.-9575604169
छत्तीसगढ़ी बचाव उदिम
महतारी भाखा म
पढ़बो लिखबो बोलबो

पागा कलगी-13 //18/देवेन्द्र कुमार ध्रुव(डीआर)

"माटी के मितान किसान"
हरियर राखय भुईयॉ,सुंदर खेत खलिहान ।
महिमा हे बड़ा भारी,कतका करव बखान।।
जीयय ऐ दूसरा बर,करय सबो गुणगान।
सहीच माटी के मितान,हरय जी ऐ किसान।।
मेहनत हा परम धरम,नांगर हा भगवान।
खेती पूजा पाठ ऐ,डोली मंदिर समान।।
खुद खाये रुखा सूखा,दूसर बर पकवान।
अंगाकर रोटी भाये,संगे मंगाय अथान।।
ऊँच नीच नई मानय,सब होथे ग समान।
सुमती ला ऐ जानथे,हरय ऐहा सुजान।।
करथे दिन भर मेहनत,देके जीव परान।
ऐहा धान उपजाये,खावय सरी जहान।।
धरती के सेवक हरे,सेवा म हे धियान।
काम जांगर टूटत ले,सुवारथ ले अंजान।।
धोखा छल नई जानय,अटल इकर ईमान।
विपत मा धीरज धरके,करय काज आसान।।
मुख मोड़ दे नदिया के,पथरा होय पिसान।
करम ले भाग बदल दे,ऐ अइसन बलवान।।
खुमरी मुड़ी के शोभा ,बढ़ावत हवे शान।
अन्नदाता हरय हमर,पाये ऐ सम्मान।।
धरती के दुलरु बेटा,हवे सबले महान।
लारी इकर महल हरे,आसन इकर मचान।।
घर ले ऐ निकल जाथे,होवत नवा बिहान।
माटी संग मितानी जी,निभावत हे किसान।।
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव(डीआर)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद

पागा कलगी-13/17/सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

"माटी के मितान"
माटी के मितान घला, हांसत कुलकत आज।
बादर के संग चलेला, नांगर बैला साज।।
***गीत***
माटी के मितान..
मोर संगी किसान।
माटी के मितान..
मोर भैया किसान।
नांगर बैला धरके निकले,
गांव के गली जागे।
बैला के गर मा घंटी बाजे,
खोर हली भली लागे।
आह आह आह काहत काहत,
बैला ल बेड़ के लान..
माटी के मितान,
मोर भैया किसान...
घड़ घड़ बादर गरजे,
चम चम बिजली चमके।
तरतर तरतर चुहे पछीना,
चिखला म चेहरा दमके।
तोर पांव के आरो ल पावत,
पिकियाथे राहेर धान..
माटी के मितान,
मोर संगी किसान...
जांगर टोरत उवत बूड़त,
दुनो बेरा के जुरत ले।
ढसरा मार थिराय नही,
जिनगी के गाड़ी दउड़त ले।
तोर भरोसा गोहार पारत..
जनतंत्र के भाग..
माटी के मितान,
मोर संगी किसान।
माटी के मितान,
मोर भैया किसान।
रचना:---सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर, कवर्धा
9685216602

शनिवार, 9 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/16/श्रवण साहू

पागा कलगी भाग 13
विषय- माटी के मितान
बर मोर नानकून गीत के प्रयास-
माटी मा मोती उपजईया
भुईया ला सुघर सिरजईया
कहाये नघरिया किसान
तंहि हरस गा तंहि हरस मोर
"माटी के मितान"
(1)
मुड़ ले गोड़ तक पसीना बोहाये
पखरा मा घलाव पानी ओगराये
का घाम अऊ का झड़ी बादर
महतारी के तैहा सेवा बजाये
करमा ददरिया गाके करथस
धरती दाई के बखान
तंहि हरस गा तंहि हरस मोर
"माटी के मितान"
(2)
तोर हाथ के पसीया ला पाथे
माटी घलाव हा महक जाथे
हरियर हरियर धान लहराथे
देखत मन के दुख बिसराथे
भुंई ला बंजर होये ले बचाये
कारज हे तोर महान
तंहि हरस गा तंहि हरस मोर
"माटी के मितान"
(3)
तोर मेहनत अऊ तोर निहोरा
कहाये छत्तीसगढ़ "धान कटोरा"
कब तोर संग फेर नियाव होही
ऊही बेरा के हावे अब अगोरा
अपन करम अऊ धरम के सेती
कहाय भुईया के भगवान
तंहि हरस गा तंहि हरस मोर
"माटी के मितान"
रचना- श्रवण साहू
गांव-बरगा,जिला-बेमेतरा
मो-8085104647/4950

पागा कलगी-13/15/जगदीश "हीरा" साहू

💐 माटी के मितान 💐
चल धरती ला सजाबो, रुखराई ला लगाबो ।
आवव खेत डहर जाबो, सुघ्घर शान उपजाबो ।।
मोर भुईया के जवान, जय होवय तोर गा किसान ।
मोर माटी के मितान, जय होवय तोर गा किसान ।।
नांगर बइला संग मा लेके, बेरा के नइहे चिन्हारी ।
अर् -तता के राग अलापत, हाथ मा धरे तुतारी ।।
माटी मा माटी मिल के तैहा, जांगर टोर कमाये ।
धान उपजाके खेत मा अपन, सबला तै खवाये ।।
तोर महिमा हे महान, जय होवय तोर गा किसान ।
मोर माटी के मितान, जय होवय तोर गा किसान ।।
छत्तीसगढ़िया ला तारे खातिर, महानदी हर गंगा हे ।
नांव रइहि तोर अमर बेटा, जब तक सुरुज चंदा हे ।।
ये माटी के तै दुलरवा, रखबे येला जतन के ।
जग मा एकर नांव जगाबे, "हीरा" बेटा बनके ।।
महुँ करव गुनगान, जय होवय तोर गा किसान ।
मोर माटी के मितान, जय होवय तोर गा किसान।।
जगदीश "हीरा" साहू
कड़ार (भाटापारा) ,बलौदाबाजार
9009128538

पागा कलगी-13/14/बी के चतुर्वेदी

सघ्घर माटी ; चंदन माटी सवला ए बरदान रे
महके संझा बिहन्ना अंगना माटी मोर मीतान रे "
जनम पायें दाई के कोरा तोर अचरा रेंगत नांचे रे
गली खोर दुवरा मा खेले अमरीत पानी चांखे रे
तोर माटी मोर माटी सब माटी हे समान. रे "
रवंद के धुर्रा नदिया तरीया पढ़त गुनत नहवाये रे
चिला अंगाकर बासी रोटी मेछरात मुंहु खवाये रे
हरेली के गेड़ी पोरा के बैला चले ठेठरी जुबान रे "
मेला मेड़ई राउत नचाई ढेलुवा खूब . झुलाये रे
उखरा चना मुर्रा लाई बतासा कुसियार दे चहकाय रे
टेही मारे गरुवा ढिलाये ठुढ़ियावत. दइहान रे
चारो कोती हरियर हरिचर खेती खार देहे सजाये रे
बहिंगा कांवर सींकहर डोरी धान कलगी लहराये रे
ए माटी हे धान कटोरा करे सबला परबत. दान. रे "
अब माटी के चीथा पुदगी परीया गउचर गये नंदाये रे
जखर लाठी तेकर भैंसी गांव सहर मा हुकनम चलाये रे
अँते ले आंइन लोटा खाली अव बरकस बनगे सुजान रे "
कइसन बिकास के हाना काट जंगल घर महल बनाये रे
कारखाना के जहर उगलाई तभो कोनो नइ पछताये रे
छत्तीसगढ़ मा छागे बीमारी अउ कइसे बंचही परान. रे "
माटी मोर मीतान ************
बी के चतुर्वेदी

पागा कलगी-13/13/योगेश साहु

माटी के मितान
=====================================
माटी के मितान मैं हरौं किसान
जिनगी चलाये बर मैं जाथौं खेत खार
गिरत हवय पानी ह
रुख ला उगाये हौं
ये मोर भुइंया के
सुंदरता ला बढ़ाये हौं
माटी के मितान मैं हरौं किसान
बइला ह रेंगत हवय
खेत ला जोतत हौं
मोर जिनगी चलाये बर
धान ला बोवत हौं
माटी के मितान मैं हरौं किसान
इही माटी हवय ता जिनगी ला
चलावत हौं
आनी बानी के खेती करके
धान ला उगावत हंव
माटी के मितान मैं हरंव किसान
कोनो बनावत हे मटका भईया
कोनो बनावत हे बरतन
कोनो बनावत हे खिलौना भईया
कोनो बनावत हे घर
ये माटी ले सबो बनत हे
कतना सुघ्घर हे येकर रंग
माटी के मितान मैं हरौं किसान
📝 योगेश साहु
अर्जुनी बालोद
छत्तीसगढ़
9617891818

पागा कलगी-13 /12/ टीकाराम देशमुख " करिया"

कतका तोर महिमा ल गावंव,कतका करंव बखान
तैं धरती के भाग जगैय्या अस,मोर मांटी के मितान
1.लहू-रकत ल मांटी म सान के,अन-धन तैँ उपजाथस
जुड़-घाम ल नई चिनहस तैं, जांगर टोर कमाथस
पथरा के तें नों हस देवता, तैँ संऊहत भगवान
तैं धरती........ मोर मांटी........
2.मांटी के सेवा तोर जिनगानी,जियत किसानी मरत किसानी
काम बुता मं उमर पहागे,फेर नई सिरावय तोर जवानी
धरती दाई के तैँहा लाल अस, दुनिया बर तैँ सियान
तैँ धरती..........मोर मांटी...........
3.तोर परसादे जियत हवन सब, का बउरैय्या का बैपारी
काम-कमई मं जुग बीत गे,फेर नई छुटइस ग तोर उधारी
तोर असन नईहे कोई जग मेँ, गउकी,सिरतो,ईमान
तैँ धरती..............मोर मांटी के मितान
@ टीकाराम देशमुख " करिया"
स्टेशन चौक कुम्हारी (जिला-दुर्ग)
मो.-94063 24096

पागा कलगी-13 //11//शुभम् वैष्णव

दोहा-
घाम छाँव देखे नहीं , बोये बर तो धान।
तैं ह तो कहाए तभे , माटी के ग मितान।
देवत हस तो अन्न तैं, जय हो तोर किसान।
जगत के पूर्ति तैं करे , हमर बने तैं शान।
बइठे रहिगे खेत मा , छोड़ के घर मकान।
धरती के बेटा बने , कतका करव बखान।
पालन पोसन धर्म हे , जिनगी तोर महान।
अइसन के धरती घलो, करय खूब सम्मान।
सेवा ले मेवा मिले , कहिथे सबो सियान।
तोर दशा तो देख के , छुटय मोरो परान।
बेरा पहाय खेत मा , नांगर फांदे आज।
श्रद्धा से जेला करे , उहि हरय तोर काज।
देखव तोला रोज मैं , बांधत खेत म मेड़।
जांगर ले सब जीत के , बइठे छइहाँ पेड़।
अपन संग बइला धरे , नांगर बोहे खांध।
सोन उगाए खेत मा , मुड़ी म पागा बांध।
जाय रहिथस बिहान ले, आवत होथे शाम।
जब भी पुछेँव तैं कहे, खेत ल चारो धाम।
छत्तीशगढ़ी शान के , तैं तो बढ़ाए मान।
माटी के संगी बने , अउ बने हस मितान।
-शुभम् वैष्णव
भीमपुरी, नवागढ़
जिला- बेमेतरा

शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/10/नन्द वर्मा

माटी के मितान संगवारी,
हरय हमर सबो किसान।
माटी निचोय ले तेल निकलही,
कहिथे हमर सियान।
कइसन ए जमाना हे के,
अलाली म मरय इंसान।
सियान मन दे दिस त,
बइठे खावत हे जवान।
एक बात कान खोल के सुनव,
भइया आज के पागल बईमान।
कामहु तभे तो खाहू ग,
माटी संग बद लओ मितान।
नन्द वर्मा,
नवागांव, नवागढ़,
मो. 9713208662

पागा कलगी-13/9/सोनु नेताम गोंड़ ठाकुर

!!माटी के मितान!!
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मोर माटी के संगवारी मितान
तहि हरस जांगर टोर किसान
मेहनत कर अन्न उपजाथस
खाथस रोटी चउंर पिसान
हरियर भुंईया ल हरियाथस
बनि कराईय्या माटी मितान
सुनता सुम्मत के गोठ चलाथे
बड़े दाउ ले मिलथे गियान
हखर हखर खेत कमाथस
निकल जथस तैंय बिहान
खांद म नांगर बईला तुतारी
अघवा जथे हमर सियान
आघु आघु बईला रेंगे
बिजहा बोहे ग सियान
हाथ म नांगर अरा ररा
हकलावत हे मितान
भर्री भांठा चिक्कट् माटी
हरिया जोते होत बियान
धंवरी बईला तर तर रेंगय
लेटा मारय मोर माटी मितान
गरज बरस के पानीे गिरय
सतरंगी कारी बदरिया छाहि
तरिया डबरी खोचका गड्डा
उबुक चुबुक लहुंटन मारहि
डिपरा पार म मेंचका मन
टरर टरर नरियाहि
मघन होके मंजुर नाचहि
डेना पांख छरियाहि
माटी के महर सोंध ले
धरती कोरा हरियाहि
जरि धरयं पीकी फुटय
फोंक फोंक फरियाहि
आषाढ़ बुलकहि सावन आहि
नदिया नरवा लबलबाहि
माटी के संगवारी मितान
हरियर हरेली तिहार मनाहि
� मयारुक छत्तीसगढ़िया
सोनु नेताम गोंड़ ठाकुर
रुद्री नवागांव, धमतरी
मो.नं.:-९८२७३५६०१२

पागा कलगी-13/8/जयवीर रात्रे बेनीपलिहा

" हमर किसान माटी के मितान हे"
रोज बिहनिया सूत उठ के,
नांगर बइला फांदत हे,
धरती दाई के कोरा म,
हरियर चादर ओढ़ावत हे,
ते पाय के कहेंव संगी,
हमर किसान माटी के मितान हे।
किसान हमर अन्न दाता,
माटी ले निर्मल धान उपजावत हे,
माटी ल उपजाऊ बनाके,
अपन लइका के पेट भरावत हे,
ते पाय के कहेंव संगी,
हमर किसान माटी के मितान हे।
धरती दाई के पइयाँ लागंव,
रोज बिहनिया गावत हे,
इही माटी के मान बढ़ाके,
जम्मो किसान नाचत हे,
ते पाय के कहेंव आंगी,
हमर किसान माटी के मितान हे।
माँटी हमर जिन्दगानी संगी,
सबो जीव ला जीवन देवत हे,
इही माटी के रक्षा खातिर,
खड़े हन सिना तान के,
ते पाय के कहेंव संगी,
हमर किसान माटी के मितान हे

-जयवीर रात्रे बेनीपलिहा

गुरुवार, 7 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/7/संतोष फरिकार

माटी के मीतान
माटी के मीतान हरय किसान
माटी ले जुडे जिनगी संगवारी
जिनगी माटी के संग कट जाही
किसान अऊ माटी संग मीतान
जियत भरे ले जिनगी जुड़े हे माटी ले
किसान दीन भर मेहनत करय
कोदो कुटकी फसल उगावय
माटी ल किसान लगावय अपन छाती ले
अपन जिवन बिताईस माटी संग
पानी बरसात म चिखला बनके
मीतानी निभाईस ठंडा बन गरमी म
दुनिया ल छोड़ीस तभो संगी माटी संग
अपन जिनगी ल जोड़ लव माटी संग
छत्तीसगढ़ीया किसान बन के संगी
जान लव का होथे माटी के मीतानी
सबके अंग घलो जुड़े हे संगी माटी संग
*********************************
संतोष फरिकार
देवरी भाटापारा

पागा कलगी-13/6/आचार्य तोषण

शीर्षक:-माटी के मितान
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जेन माटी के रकछा खातिर
होईन कतको बलिदान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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ऊवत सूरूज मा करंव आरती
दीया अगर कपूर जलाइके
दण्डाशरन पांव पंइंय्या लागंव
हांथ जोड़ दुनो लमाइके
सब जुरियाके हंस मुसकाके
माटी के जस ला गान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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आवय दिन जब खेती किसानी
नांगर बइला हे हमर संगवारी
अरातता के सुर ला लमावंव
मुडी मा खुम्हरी हांथ तुतारी
हरिहर करबोन धनहा डोली
बोंएंबर चलव सब धान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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मनटोरा भउजी हर बासी धरके
खेती डोली डहर गा आवय
मंगलू भइय्या मारय हरिया
चांच मा आंखी ल जमावय
होत मंझनिया लिमंऊ चटनी संन
बोरे बासी ल खान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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नांगर बइला ल धो मांज के
मनाबोन गा हरेली तिहार
घुमड़े बादर चलय पुरवइया
पानी के रिमझिम परे बउछार
हुम धूप अगरबत्तियां धरके
चीला के रोटी चढ़ान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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सरग ले सुघ्घर ए भुइंया ह
एखर माटी माथ के चंदन हे
सेवा बजावंव गुन ल गावंव
गोड़ ल घेरी बेरी बंदन हे
इहां धुर्रा लागे अइसन
संऊहत सोनहा समान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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रचना:-आचार्य तोषण
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़
पिन:-४९१७७१
मुहूबाइल:८६१७५८९६६७

पागा कलगी-13/5/जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

माटी के मितान
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खोंच मेहनत के भोजली,
माटी के मितान बन जा ग।
माटी ले मया करईया,
कमाईया किसान बन जा ग।
धरके माटी के तन,
उड़ियात हस अगास म।
देखावा के डेना ताने,
दू पईसा धरे हाथ म।
ओढ़ना बिछाऔना माटी के,
जादा झन इतरा, इंसान बन जा ग।
खोंच मेहनत के.................,
...............किसान बन जा ग।
कतिक दुरिहाबे,
माटी ल भुलाके।
माटी म मिला दिही,
गड़ाके,जलाके।
नाव चलत रहय तोर,
अईसन पहिचान बन जा ग।
खोंच मेहनत के भोजली......,
................किसान बन जा ग।
भूख भगाय बर जग के,
माटी ले जुड़ेल पड़ही।
मेहनत अऊ मया,
माटी म गुंड़ेल पड़ही।
संगे-संग चल माटी के,
माटी के सान बन जा ग।
खोंच मेहनत के.............,
..........किसान बन जा ग।
देके मोल माटी के,
कतको बनगे मालिक।
जतन करईया माटी के,
रोवत हे छाती पीट।
माटी म हे सकल पदारथ,
पहिचान माटी ल सुजान बन जा ग।
खोंच मेहनत ...........................,
..........................किसान बन जा ग।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)

पागा कलगी-13/4/दिलीप वर्मा

माटी के मितान
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माटी के मितान रे संगी
माटी के तै मितान 
तेंहा नगरिहा छत्तीसगढ़िया
कईथे तोला किसान
माटी के --------------
सेवा बजाथस धरती दाई के
मया दुलार ल पाथस
जांगर टोर मेहनत करके
अन येमा उपजाथस
तेंहा पाछु कभू नई घुंचस
मेहनत तोर भगवान।
माटी के--------
का सरदी का गरमी कहिबे
या कहिबे बरसात
तोर मेहनत ले सबो पसिजथे
का दिन अउ का रात
तें धरती के दुलरवा बेटा
सब ले तें धनवान।
माटी के मितान रे संगी
माटी के तै मितान।
दिलीप वर्मा
बलौदा बाजार
9926170342