"माटी के मितान किसान"
हरियर राखय भुईयॉ,सुंदर खेत खलिहान ।
महिमा हे बड़ा भारी,कतका करव बखान।।
हरियर राखय भुईयॉ,सुंदर खेत खलिहान ।
महिमा हे बड़ा भारी,कतका करव बखान।।
जीयय ऐ दूसरा बर,करय सबो गुणगान।
सहीच माटी के मितान,हरय जी ऐ किसान।।
सहीच माटी के मितान,हरय जी ऐ किसान।।
मेहनत हा परम धरम,नांगर हा भगवान।
खेती पूजा पाठ ऐ,डोली मंदिर समान।।
खेती पूजा पाठ ऐ,डोली मंदिर समान।।
खुद खाये रुखा सूखा,दूसर बर पकवान।
अंगाकर रोटी भाये,संगे मंगाय अथान।।
अंगाकर रोटी भाये,संगे मंगाय अथान।।
ऊँच नीच नई मानय,सब होथे ग समान।
सुमती ला ऐ जानथे,हरय ऐहा सुजान।।
सुमती ला ऐ जानथे,हरय ऐहा सुजान।।
करथे दिन भर मेहनत,देके जीव परान।
ऐहा धान उपजाये,खावय सरी जहान।।
ऐहा धान उपजाये,खावय सरी जहान।।
धरती के सेवक हरे,सेवा म हे धियान।
काम जांगर टूटत ले,सुवारथ ले अंजान।।
काम जांगर टूटत ले,सुवारथ ले अंजान।।
धोखा छल नई जानय,अटल इकर ईमान।
विपत मा धीरज धरके,करय काज आसान।।
विपत मा धीरज धरके,करय काज आसान।।
मुख मोड़ दे नदिया के,पथरा होय पिसान।
करम ले भाग बदल दे,ऐ अइसन बलवान।।
करम ले भाग बदल दे,ऐ अइसन बलवान।।
खुमरी मुड़ी के शोभा ,बढ़ावत हवे शान।
अन्नदाता हरय हमर,पाये ऐ सम्मान।।
अन्नदाता हरय हमर,पाये ऐ सम्मान।।
धरती के दुलरु बेटा,हवे सबले महान।
लारी इकर महल हरे,आसन इकर मचान।।
लारी इकर महल हरे,आसन इकर मचान।।
घर ले ऐ निकल जाथे,होवत नवा बिहान।
माटी संग मितानी जी,निभावत हे किसान।।
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव(डीआर)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद
माटी संग मितानी जी,निभावत हे किसान।।
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव(डीआर)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद
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