रविवार, 10 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/19/हीरालाल गुरूजी"समय"

"माटी के मितान किसान"
एक गांव म गजबेच बच्छर हो गे पानी नई बरसिस।
भुईयां सुखागे रूखराई के पत्ता झर गे डारा खांधा
सुखागे पीये के पानी घलाव नई मिले लागिस तब वो
गांव के सबो झन मंदिर के पुजारी कर पंचांग बिचारे
बर गईन।महराज बिचार के बताईस कि न ए बच्छर अऊ अवईया तीन बच्छर ए गांव म पानी नई गिरय।
ओकर गोठ ल सुनके गांव के किसान अपन जिनगी
चलायबर कमाय खाय परवार ले के एती-ओती
आन-आन गांव चल दिन ।गांव सुन्ना होगे फेर उही गांव
के एक किसान ह वो गांव ल छोड़के नई गिस।
पानी नई बरसय तभो वो अपन खेती भुईयां म
नांगर जोतय। एक दिन बादरदेवता मेघराज घुमत-घुमत
वो किसान ल अपन भुईयां म नांगर जोंतत देखिन बड़
अचरज मानिन वोकर तीर म आके पूछिस- कस गा
किसान ये गांव म तीन बच्छर पानी नई गिरय ऐला सुने
नई हस काय?एकरे सेती इहां के सबो किसान गांव छोड़के
आन गांव चल दिन। फेर तैं काबर बिरथा जांगर खईता
खेती ल जोंतत हस । किसान मेघराज ल कहिस- मैं
सबो ल जानथौं फेर तीन बच्छर ये भुईयां म नांगर नई
चलाहूं त तीन बच्छर पाछू नांगर जोतेल भुला जाहूं।
अपन काम ल भुलाव झन एकर सेती नांगर जोतत हंव
किसान के अतका गोठ सुनके मेघराज
"गजब-सुघ्घर, गजब-सुघ्घर" काहत सोचेबर धर लिस
अइसने महुं तीन बच्छर पानी बरसे बर छोड़ देहूं त
अपन काम पानी बरसेबर भुला जहूं। जईसे किसान के
मितानी ये माटी संग हे मोरो मितानी उही भुईयां ले हावय।
मैं अभी बरसत हौं कहीके अपन अऊ करिया बादर मन ल बलाके गोहार करिस "तुमन बरसव"
फेर सुघ्घर पानी बरसे लागिस आन गांव ले किसान
लहुटय लगिस अपन मितान भुईयां म बुता करे लागिन
थोकिन बेरा म भुईयां
हरियर हरियर दिखे लागिस। सबो झन
वो किसान ल माटी के मितान कहे लागिन।।
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संकलन/अनुवाद
हीरालाल गुरूजी"समय"
ग्राम- छुरा जिला-गरियाबंद
मोबा.-9575604169
छत्तीसगढ़ी बचाव उदिम
महतारी भाखा म
पढ़बो लिखबो बोलबो

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