रविवार, 10 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/20/गोपी मनहरे

अंतरा
 मै किसान सुन जवान सुख दुख भरे कहानी
जनम जनम बर बदेव जी संगी माटी मोर मितानी
पद (1) 
ये लहरा कस मोर सपना छत्तीस छत्तीस टुट जाथे
आसमान ले उड़ के संगी पर्वत घलो टकराथे
लय। धरती दाई के सेवा म भईया। कर देबो कुर्बानी
जनम जनम बर बदेव.......
पद(2) 
जांगर टोर करे कमाई धरती के सेवा बजाये
ये माटी हे मोर मितानी माटी ल माथ नवाये
लय। खीर तसमई कस लागे संगी। ईहा के चटनी बासी
जनम जनम बर बदेव........
पद(3) 
हरियाली ल देखके संगी मन झुमर झुम जाथे
अन कुवारी जब हो जाथे कोठी घलो भर जाथे
लय। लागे सुग्घर मन ह संगी। जइसे नदीया के पानी
जनम जनम बर बदेव........
मै किसान सुन जवान सुख दुख भरे कहानी
जनम जनम बर बदेव जी संगी माटी मोर मितानी
रचना। गोपी मनहरे
गांव। पथरपुंजी
जिला। बेमेतरा
नं। 9098519146

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