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शनिवार, 11 जून 2016

पागा कलगी-11//ललित साहू "जख्मी"

"बेटी के सिक्छा अऊ संस्कार"
जेखर कोरा ले जनम धरेंन
वो दाई के सम्मान जरुरी हे
जेखर दम ले दुनिया टिके हे
वो नारी के पहिचान जरुरी हे
बेटी करही अंजोर ये जग मा
फेर पहिली सिक्छा के दान जरुरी हे
समाज के सुग्घर आघू बढ़े बर
बेटी ला संस्कार के वरदान जरुरी हे
भेदभाव मेटा के बेटी-बेटा ला
एक समझईया खानदान जरुरी हे
रद्दा भटकत लोग लईका मन बर
हमर संस्कृति के गियान जरुरी हे
देवव ऊंच ले ऊंच सिक्छा बेटी ला
बेटी के अब बढ़ाना मान जरुरी हे
देवव संस्कार जनम ले हर बेटी ला
कलजुग मा देना धियान जरुरी हे
अब बंद करो ननपन के बिहाव
बिधवा के फेर अब बिहाव जरुरी हे
लेसईस गोसान संग आगी मे नारी
कुरीति के खच्चित मेटाव जरुरी हे
जम्मो समझे जम्मो बात ला अइसन
समाज मा सिक्छा आना जरुरी हे
बेटी जिनगी के पहिली अधार हरे
वोखर सिक्छा,संस्कार पाना जरुरी हे
रचनाकार - ललित साहू "जख्मी"
ग्राम - छुरा
जिला- गरियाबंद (छ.ग.)
9144992879

पागा कलगी-11//चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

"बेटी ला शिक्षा अउ संस्कार दव"
""""""""""''"""'""""""""""""""""
बेटी पढ़य अउ बेटी बढ़य
अइसन शिक्षा अउ संस्कार दव ।1।
पढ़ लिख के बनय आत्मनिर्भर
अइसन सुग्घर ज्ञान के भण्डार दव ।2।
अरे झन मारव बेटी ला गरभ म
झन करव महापाप, जीवनदान दव ।3।
बेटी करत हे अब बेटा कस काम
थामौ ओखर हाँथ दुनिया म आन दव ।4।
घर म हे नारी त सुख हे बड़ भारी
समझ मरम ला ए बात म धियान दव ।5।
बेटी हमर नौ कन्या इही दुर्गा दाई
झन समझौ अबला,मान सम्मान दव ।6।
नारी के महिमा पुरान सुनावत हे
मनखे कहत हे अउ कईसे परमान दव ।7।
भगवान घलोक अब गुनत होही
कइसे समझावव अउ का सद्ज्ञान दव।8।
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ मुहिम ला
चलव जम्मों जुर मिल के अब साथ दव ।9।
अरे अब तो जागव अउ जगावव
भेदभाव ला मिटाए बर हाथ म हाथ दव ।10।
चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
थान खम्हरिया(बेमेतरा)

पागा कलगी-11 //सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

बेटी ल दौ शिक्षा अउ संगे संस्कार दुलार,
भरजै खुशी अपार बेटी के घर द्वार ग।
बहरी सूपा छोड़ाव हाथ कलम धराव,
लिखके अपन भाग पांवय अधिकार ग।
बेटी बर कापी पेन बेटी जेन मांगे तेन,
कमी मत होय कभु बेटी बर दुलार ग।
बेटी कोनो श्राप नोहे बेटी पुन पाप नोहे,
बेटी मन आवय जी कीमती उपहार ग।
बेटी बिना जग सुन्ना बेटी बिना दुख दुन्ना,
बेटी के बिना तो संगी जिनगी निराधार ग।
बेटी पढ़ही लिखही संगे संस्कार गढ़ही,
उमर भर रयिही जिनगी के तिहार ग।
सीमा म जवान बन हाथ म धरही गन।
दुश्मन देख डेराही दुर्गा के अवतार ग।
नेता मंत्री यंत्री बन चलहीं जनता संग,
समानता बिकास के तभे बोहाही धार ग।
बेटी ल मिलही मान बेटी होयके सम्मान,
चारो मुड़ा खुशी छाही कुलकही संसार ग।
डोंगा बनही संस्कार शिक्षा हर पतवार,
दु ठन कुल के नैया बेटी लगाही पार ग।
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर 'शिक्षक'
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602

पागा कलगी-11//आचार्य‬ तोषण

शिक्षा अउ संस्कार के पहिली बेटी जग म आय
मया भरे डेरोठी चिरई सही चींव चींव चहचहाय
बेटी हे तभे हमर जिनगी हे ए पूनित धराधाम म
पढ़े लिखे गुणी मुनी ल काबर समझ नइ आय
बेटा पाए के आस म बेटी ल कोख म मारत हस
शिक्षा अउ संस्कार दौ काबर गोहार पारत हस
वाह रे पढ़े लिखे परबुधिया नइहे थोरकन बुध
बेटा-बेटी एक समान कहिके सेखी बघारत हस
बोली अइसन बोलव मत जेखर न कोनो अर्थ हे
ऊंच शिक्षा ऊंचहा बिचार संस्कार बिन बियर्थ हे
मया बेटा बर आनी बानी बेटी के थोर नइहे सुध
शिक्षा-संस्कार दे बेटी ल थोरकन नइ समर्थ हे
खडे कर दे पढ़ा लिखा बना बेटी ल तै हुंशियार
सीता जीजा मनु जइसन कुटके भरदे तै संस्कार
भरत भूमि के मान बढही फक्र करही हिन्दुस्थान
कल्पना सही उडाही नभ म फैलही जग उजियार
लहर-लहर लहरावै नभ म बेटी सही परचम नइहे
पढ़ा लिखा तै बेटी ल अउ दुसर कोई धरम नइहे
बरत रहे नित दीया सरी चमकत रहे चंदा असन
बांटै जग ल ए परकाश बेटी सूरूज ले कम नइहे
"बेटी बचाओ बेटी पढाओ"
~~~~~~~~~~~~~~~
‪#‎आचार्य‬ तोषण
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़

पागा कलगी-11 //शुभम वैष्णव

हाइकु-
बेटी ल सब,
सिक्छा संसकार दे,
पहिली तैं ह।
तोर मेर तो,
पइसा बहुँत हे,
बेटी ल पढ़ा।
ओला तो अब
जनम के दुखिया,
मत बना ग।
तोर घर म,
बेटी ह अनपड़,
काबर हे ग।
शरम कर,
जग रचइया के,
हाल ल देख।
लाचार नोहय,
जगतजननी ए,
साक्षात् बेटी।
शुभम वैष्णव
ग्राम-भीमपुरी नवागढ़
जिला-बेमेतरा

पागा कलगी-11//महेन्द्र देवांगन माटी

बेटी ल शिक्षा संस्कार दो
***********************
पढ़ा लिखा के बेटी ल, दुनिया में सम्मान दो
बेटी हरे बेटा बरोबर, शिक्छा अऊ संस्कार दो
बेटी बेटा में भेद मत करो, दूनों ल पढाओ
दूनों हरे कूल के दीपक, आगे ओला बढ़ाओ
पढ़ लिख के बेटी ल, दुनिया में नाम कमान दो
बेटी हरे बेटा बरोबर, शिक्छा अऊ संस्कार दो ।
पढ़े लिखे बेटी ह, परिवार ल पूरा पढ़ाही
शिक्षित करही सबला, संस्कार घलो सीखाही
मत रोको कोनों रस्ता , आघू आघू जान दो
बेटी हरे बेटा बरोबर, शिक्छा अऊ संस्कार दो ।
अबला मत समझो नारी ल, देश के मान बढ़ाथे
जब जब अत्याचार होथे, चंडी रुप देखाथे
पापी अत्याचारी मन बर, तलवार ओला उठान दो
बेटी हरे बेटा बरोबर, शिक्छा अऊ संस्कार दो ।
घर के ईज्जत हरे बेटी, रखथे मान मरयादा
सबके लाड़ दुलार मांगथे, नइ मांगे वो जादा
झन मारो कोख में ओला, केवल एक मुस्कान दो
बेटी हरे बेटा बरोबर, शिक्छा अऊ संस्कार दो।
रचना
महेन्द्र देवांगन माटी
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला -- कबीरधाम (छ ग )
8602407353

पागा कलगी-11//ओमप्रकाश चौहान

🍁" बेटी ल शिक्षा संस्कार दव 🍁
पुन्नी के तैय चँदा बरोबर,
कुल के तैय तो दिया बाती।
चार वेद घला हरू हो जाही,
बेटी हर जब हमर सुग्घर सिक्छा पाही,।
सुख सागर के तैय भण्डारा बरोबर,
ये कुरिया के तैय तो दिया बाती।
धन दौलत सब भरम पड़ जाही,
बेटी हर जब हमर सुग्घर सिक्छा पाही।
छत्तीसगढ़ महतारी के तैय अंचरा बरोबर,
बपुरामन के तैय तो सुख दिया बाती।
जुनना रिती अउ सबो जुनना जाही,
बेटी हर जब हमर सुग्घर सिक्छा पाही।
कूपत अंधयारी के तैय सुकवा बरोबर,
जन मानस के तैय तो दिया बाती।
तीरथ धाम घला ठट्ठक-मुट्ठक हो जाही
बेटी हर जब कहुं सुग्घर सिक्छा पाही।
अंगना के तैय सुग्घर टिकली बरोबर,
चहल- पहल के तैय तो दिया बाती।
तुलसी चौरा कस सबे दिन पुज जाही,
बेटी हर जब हमर सुग्घर सिक्छा पाही।
परिवार बर तैय तियागे बरोबर,
' माँ ' नाव के तैय तो अदभूत दिया बाती।
ये करजा ले तब कोनो उबर पाही,
बेटी हर जब हमर सुग्घर सिक्छा पाही,,।
🌻 ओमप्रकाश चौहान🌻
🌴 बिलासपुर 🌴

शुक्रवार, 10 जून 2016

पागा कलगी-11//जगदीश"हीरा"साहू

बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ
ये दुनिया मा आये के रस्ता देखत हे बेटी, कोंख मा झन मार दौ ।
जग मा तुंहर नाव जगाहि, बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ ।। 

दो-दो कुल के नाम जगाथे एक बेटी हर पढ़के । 
हमर जश के झंडा फहराहि आसमान मा चढ़के ।। 

हर मौका देथौ बेटा ला , बेटी ला एक बार दौ ।
जग में तुंहर नाम जगाही, बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ ।। 

आगु बढ़त हे अब बेटी, झन रोकव रस्ता एकर ।
 देवता घलो शीश झुकाथे, आगु मा जेकर ।। 

वो बेटी अनमोल हे जग मा, नफरत नहीं ओला प्यार दौ ।
जग मा तुंहर नाम जगाही, बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ ।। 

जगदीश"हीरा"साहू
कड़ार (भाटापारा)

गुरुवार, 9 जून 2016

पागा कलगी-11//ललित वर्मा

मानुस जनम धरे के करजा उतार दव 
बेटी ल सुघ्घर सिक्छा अउ संस्कार दव
बेटी ह बने पढही,भविस्य ल सुघ्घर गढही
पुरखा रीत-नेत पाही,धरम अउ नेंग निभाही
सिरजनकर्ता ल सिरजन के हथियार दव
बेटी ल सुघ्घर सिक्छा अउ संस्कार दव
बेटी घर के मान,मर्यादा-सम्मान
दाई के हरे करेजा,ददा के नाक-कान
समता-ममता के गोदी म मया दुलार दव
बेटी ल सुघ्घर सिक्छा अउ संस्कार दव
बेटी मईके के डोंहरी,पिया के घर के फूल
दुनो बगिया म महके,अईसन सींच मत भूल
सीख अउ सदगुन के सोला सिंगार दव
बेटी ल सुघ्घर सिक्छा अउ संस्कार दव
बेटी सुख के सागर,सेवा करे उमर भर
गृहस्थी के एकठन मुडका,घर थामे रहिथे सुघ्घर
वोला सिक्छा के छानही संस्कृति के मिंयार दव
बेटी ल सुघ्घर सिक्छा अउ संस्कार दव
मानुस जनम धरे के करजा उतार दव
बैटी ल सुघ्घर सिक्छा अउ संस्कार दव
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रचना - ललित वर्मा
छुरा गरियाबंद छत्तीसगढ़

पागा कलगी-11//देवेन्द्र कुमार ध्रुव (DR)

पाप कमाये बर बेटी ला कोख म झन मारव
बेटा के लालच म जिंनगी कलंक म झन डारव
बेटी ल अपन सुवारथ के बलि झन चढावव 
बेटी ला घलो ऐ संसार म जीये के अधिकार दौ...
बेटी के घर मा आये ले गुंजही किलकारी
हांसही रोही खेलही गदकत रही अंगना दुवारी
झन भुलाव तुंहर मया म हे ओकरो हिस्सेदारी
ममता अउ दुलार ओकरो झोली म डार दौ...
जेन दिन बेटी अवतरही ओ दिन सुघ्घर लागही
भागमानी कहाहु तुंहर भाग हा सिरतोन जागही
ऐ हर पेड़ जेन देवैय्या ऐ हरदम मया के छांव
जल्दी ऐहा बाढ़हे ऐला नवा किरण के उपहार दौ...
बेटी घलो बेटा कस घर के कुल दीपक कहाही
घर परिवार के जस ल दुनिया भर बगराही
देके सब सुख सुविधा ओखर जिनगी संवार दौ
बेटी ला बने बने शिक्षा अऊ संस्कार दौ...
सिरतोन बात बेटी के बिदाई हरे सबले बड़े दुःख
फेर कन्यादान के सबके भाग म नई राहय सुख
बेटी तो देवी के रूप ऐ जानथव कन्याभोज करवैया हो
बेटी बिगन सबअबिरथा ऐला अंतस म उतार लौ...
सफलता मिलही तुंहर बताये सीख तय करही
सब चुनौती संग लड़के बेटी अपन जय करही
अतकी सुरता राखव बेटी बर बाधा झन बनो
ओला काँटा झन गड़े रद्दा ल बने चतवार दौ...
का करना कईसे आघु बढ़ना हे व्बेटी ला सोचन दौ
अपन आँखी के आँसु ल ओला खुदे पोछन दौ
सिरतोन हो जाही एकदिन ओकर सोचे बात
बस ओखर हर सपना ला तुमन आकार दौ...
देखव संगी हो अब तो नवा बिहान होना चाही
बेटी क अपमान नहीं ,घर घर सम्मान हो चाही
बेटी तो दु ठन परिवार ला एक करइया हरे
खुसी खुसी जीये सकय अइसन ओला संसार दौ...
मिटाके सब भरम बेटी ला सबला बनावव
सब एक समान हे ओमनला अधिकार देवावव
अइसन उजियार करव के संसार जगमगा जाये
घर घर अब तो चलो सुमत के दीया बार दौ ...
पढ़ लिख के अपन पैर म खड़ा होवय
दुःख के बेरा परिवार संग खड़ा होवय
अब कोनो बेटी अबला झन राहय
सबके हाथ म कलम के तलवार दौ.....
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव (DR)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद (छग)
9753524905

पागा कलगी-11//राजेश कुमार निषाद

छत्तीसगढ़ के पागा कलगी क्रमांक 11 बर मोर ये रचना
।। बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार ।।
कोनो अपन बेटी ल झन दव ग मार
काबर अपन बेटी ल नई भावव
वहु ल दव बेटा बरोबर प्यार।
बेटी बर घलो बने होहि ये संसार
बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार।
जब तुमन थके मांदे घर म आथव
त बेटी ह सब ल हंसाथे।
तभो ले तुमन बेटी बर मया नई करव
तभो ले वोहा अपन मया लुटाथे।
मान लव तुमन बेटी ल बेटा बरोबर
अपन जीवन के अधार।
बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार।
बेटी हरय घर के लक्ष्मी
सबो के चिंता ल दूर करथे।
सबो के राजदुलारी बिटिया रानी
घर आँगन ल महकाथे।
येकरे ले तो सजथे ग घर अऊ दुवार
बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार।
बेटी जनम धरे हावय जग म
घर घर म जाके ये भरम मिटाही।
बेटी कभू काकरो बर बोझ नई होवय
सब समाज म ये अलख जगाही।
जेन बेटी ले मया करे बर नई जानय
ओकर जीना हावय ग धिक्कार
बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार।
कहिथव न की नारी पढ़ही
त विकास करही।
या पढ़ा लिखा दव नारी ल
एक लईका के महतारी ल।
बेटी बेटा म भेद झन करव
लावव ग नवा विचार
बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983

पागा कलगी-11//दिनेश रोहित चतुर्वेदी

📃बेटी ल देव सिक्छा अउ संस्कार 📃
~~~~~~~~🌟~~~~~~~~~~
बेटी गुन गावव ग, बेटी ल बढ़ावव ग
बेटी ल बचावव ग, बेटी ल पढ़ावव ग|
बेटी कुल तरइया ए, अंगना ल ममहइया ए
गरमी म अमरइया ए, रुख राई छइंहा ए|
बेटी ए अंधरा के लाठी, बेटी ए बुढ़वा के साथी
बेटी ए पुन्नी के राती, बेटी ए दिया के बाती|
बेटी मुड़ के चोटी ए, बेटी पेट के रोटी ए
बेटी मन के सागर म, सूतई भीतरी मोती ए|
बेटी घर के फुलवारी ए, बेटी लेहे घर दुवारी
बेटी दाई के चिन्हारी ए, बेटी ददा के दुलारी|
बेटी मन ल पढ़इया ए, बेटी पीरा पुछइया ए
बेटी आंसू पोछइया ए, बेटी शांति देवइया ए|
बेटी चारो दिसा ए, बेटी बेद के रिचा ए
बेटी हवा पानी ए, बेटी सब बर दुआ ए|
बेटी घर के सियान ए, बेटी पोथी पुरान ए
बेटी रिसी के धियान ए, बेटी गुरु गियान ए|
देवव बेटी ल सिक्छा अउ, देवव सुग्गर संस्कार
बेटी बिन सुन्ना दुवार, बेटी बिन सुन्ना संसार|
✍🏻दिनेश रोहित चतुर्वेदी
खोखरा, जांजगीर

पागा कलगी-11//डॉ गिरजा शर्मा

बेटी ला सिक्छा संस्कार दौ
नोनी हर बाढ़ जाथे त दाई ददा के माथा के शिकन गहराथे ।
बने रिसता ल पाके गरूर म ददा सबो जोखिम ल मढ़ाथे।
नानकुन रहे बेटी तैं हर घर के रहे चिराई मैना ओ।
कुलकत लपकत कब बचपन पहाथे न ई जाने बर होय।
हाँसत खेलत संगी मन संग तैं हर समय बिताये ओ।
ददा के छाती दरकथे दाई गोहार लगाथे जब बेटी विदा के बेला आथे ।
अपन जी केटुकड़ा ल कैसे भेजी कहिके देंह कंपकंपाथे ओ।
न ई जाने बर होय कौन हर मारहि पीटहि कौन हाँसत बेटी के जी ल ले डारहि ओ
आवा सब झन किरिया खाई बेटी ल हमन पढ़ाबो रे पढ़ लिख जाही बेटी हमर त ओकर घर ल बसाबो ।
दू कूल ल तारहि बेटी हमर नावा रोशनी जगर मगर करही ।
हाँसत खेलत लैका मन संग नावा संदेशा ल गढ़ही ।
डॉ गिरजा शर्मा
क्वाटर नम्बर 225
सेक्टर 4/ए टाइप
बालको नगर कोरबा

पागा कलगी-11//सरवन साहू

नाव चढ़ादे भले बेटा के,
धन दउलत घर दूवार ला,
बेटी घलो तोरे उपजाये
बस दे सिक्छा संस्कार ला।
नइ पढ़ाबे बेटी ला तब
होही बपरी संग अनियाव।
जिनगी ओखर दुसवार करेबर
अढ़हा संग करबे बिहाव।
बेटी के सिक्छा संस्कार
बिरथा कभू नई जावय जी।
सिक्छित बेटी बिदा करइया
सिक्छित बहू घलो पावय जी।
बेटी बनके घर के फूलवारी
मंहकाही घर अऊ परिवार ला।
गुरतुर बोली संग बेटी ला,
बस दे सिक्छा संस्कार ला।
करम कहूं करथे बेटा हा,
बेटी हा घलो धरम करथे।
निर्लज हो जाथे कतको बेटा
फेर बेटी सदा सरम करथे।
पढ़ही लिखही बेटी सुग्घर
बाप के नाव ला जगाही जी।
सिक्छित संस्कारी बेटी हा
घर ला सरग जस बनाही जी।
हक मत मार बेटी के तैं,
झटक तो झन अधिकार ला।
मां बाप के नता ला निभादे
बस दे सिक्छा संस्कार ला।
रचना- सरवन साहू
गांव- बरगा, थानखम्हरिया

पागा कलगी-11 //डी पी लहरे

"बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ"
ओखर हक के ओला अधिकार दौ
मयारू होथे बेटी
मया अउ दुलार दौ
पढा दौ लिखा दौ
दुनिया म चले बर सीखा दौ
अंधियारी म भटकय मत बेटी ह
स्कूल के रद्दा दिखा दौ
बडे बडे साहब बनही
करमचारी अउ अधिकारी बनही
बनके सिपाही धरके बंदूक तनही
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ
ओखर हक के ओला अधिकार दौ
दरद ल जादा बेटी समझथे
बेटी ल मया के बौछार दौ
भेजव स्कूल बेटी ल
शिक्षा अउ संस्कार दौ
बेटी बेटा म भेद नईहे
दुनो ल बरोबर दुलार दौ
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ
बेटी ल मया अउ दुलार दौ|
**************************************
रचना----डी पी लहरे
~~कवर्धा~~

पागा कलगी-11//टीकाराम देशमुख "करिया

सब गहना ले बड़का गहना,
शिक्षा ह होथे संगवारी ;
पढ़ा-लिखा के पुतरी नोनी के ,
जिनगी ल संवार दौ |
जस बगराही जग मं संगी,
बेटी ल शिक्षा संस्कार दौ ||
झन समझौ 'कमती' बेटी ल,
बेटा ले बढ़ के होथे ;
दाई-ददा ले बिदा होवत बेर ,
बम फार के वो रोथे
साज-संवार सके ससुरार ल
अइसन तुम उपहार दौ ;
भले कुछु झन दे सकव फेर,
बेटी ल शिक्षा संस्कार दौ ||
मान बढ़ाते दू कुल के, वो
मया परेम ल बगराथे ,
मइके मेँ हो,या ससुरार मं
घर के शोभा बढहाथे ;
पढ़-लिख के "चूल्हा तो फुंकही",
भरम ल अपन निमार दौ ,
जस बगराही जग मं संगी ,
बेटी ल शिक्षा संस्कार दौ ||
@ टीकाराम देशमुख "करिया"
रेलवे कालोनी,स्टेशन चौक कुम्हारी
जिला_दुर्ग
मोब. 94063 24096

पागा कलगी-11//ज्वाला विष्णु कश्यप

बेटी ला शिक्छा संस्कार दौ
अपन मन के भूत भरम ल,अब तो तुमन उतार दौ |
बेटी ल भेज के स्कूल म,शिक्षा अऊ संस्कार दौ ||
(१) राजा जनक ह सीता ल,दे रहिन हे शिक्षा |
तेखरे सेती सीता ह,जीत गे अगनी परीक्षा |
अंगठी पकड़ के बेटी के,कुछ तो अब अधार दौ | बेटी ल भेज .....
(२)शिक्षाअऊ संस्कार ल पाके,मान बढ़ाही कूल के |
अंधियारी अंजोरी के संग ,मया बोही मिलजूल के ||
मन ह झन मुरझावय,मया के पानी डार दौ ||बेटी ल भेज ......
(३) पढ़ लिख के बेटी ह,ससुरार एक दिन जाही|
मईके सही ससुरार घलो ल, सरग जईसे बनाही ||
अपन मन के बुझे दिया ल,बेटी के हाथ बार दौ ||बेटी ल भेज .....
(ज्वाला विष्णु कश्यप)
मुंगेली (छ.ग.)7566498583

बुधवार, 8 जून 2016

पागा कलगी-11//संतोष फरिकार

* देबोन सिक्छा*
अपन बेटी ल देहव सिक्छा
मोला भले करे ल परय करजा।।
बेटी ल पढ़ाय बर ले हव दिक्क्षा
बेटी ल पढ़ाय के बहुत हवय ईच्छा।।
बेटा ले बढ़ के बेटी हवय अच्छा
दाई ददा के दुख देख मन हो जथे कच्चा।।
मंईके ससुरे के करत रहिथे रक्छा
दाई ददा के मन ला नई देवय धक्का।।
बेटी के मया दाई ददा बर रहिथे पक्का
कम से कम बेटी ल पढ़ाहव एम ए कक्षा।।
अपन अपन बेटी ल देहव सिक्छा
सबसे हवय मोर मन एक ठन ईक्छा।।
रचना संतोष फरिकार
गांव देवरी भाटापारा
जिला बलौदा बजार भाटापारा
‪#‎मयारू‬ 9926113995

पागा कलगी-11//दीप दुर्गवी

,,बेटी ल सिक्छा के संस्कार दौ ,,
बगरे झन अज्ञान के अंधियारी रतिहा,
भिंनसार दौ ।
आखर आखर सबद अंजोरी
सब कुरिया म बार दौ ।
घर के जमो बूता करथे
पानी कांजी भरथे जी ।
राधत कूटत् महतारी संग
दुःख पीरा ला हरथे जी ।
कागद कलम धरा नोनी के
जिनगी चिटूक संवार दौ ।
अंगना के तुलसी चौरा कस
संझाती दीया बाती ।
सोन चिरैया जइसे चहके
देख जुड़ा जाथे छाती ।
सरसती दाई के अंचरा के
बेटी ला अंकवार दौ ।
अपन अगास अपन भुंइया म
रद्दा अपन बनाही जी ।
अलग चिन्हारी पाही बेटी
कुल के नाव जगाही जी ।
कांटा खूंटी हे रद्दा म,
तेन ला तुम चतवार दौ ।
बेटी के परभूता मनखे के
जनधन हर बाढे हे ।
अपन सुख ला होम करे बर ,
कब ले बेटी ठाढ़े हे ।
अइसन बलिदानी बेटी ला
थोरिक अपन दुलार दौ ।
हमरो बेटी म प्रतिभा,कल्पना,
सुभद्रा ,सीता हे ।
बेटी पावन वेद ऋचा कस,
हमर रमायन गीता ये ।
बांचव ओखर मन के भाखा
खुल्ला अपन बिचार दौ ।
बेटी पढ़ही आगू बढ़ही
सगरो काज संवर जाही ।
अतीयाचार के दानव जरही,
सुख सन्देश बगर जाही ।
सुघर समाज गढ़व बेटी ल
सिच्छा के संस्कार दौ ।
दीप दुर्गवी
आई टी आई कोरबा

सोमवार, 6 जून 2016

पागा कलगी-11 //जगदीश"हीरा"साहू

🇮🇳बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ 🇮🇳

ये दुनिया मा आये के रस्ता देखत हे बेटी, कोंख मा झन मार दौ । 
जग मा तुंहर नाव जगाहि, बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ ।। 

दो-दो कुल के नाम जगाथे एक बेटी हर पढ़के । 
हमर देश के झंडा फहराहि आसमान मा चढ़के ।। 

हर मौका देथौ बेटा ला , बेटी ला एक बार दौ । 
जग में तुंहर नाम जगाही, बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ ।। 

आगु बढ़त हे अब बेटी, झन रोकव रस्ता एकर । 
देवता घलो शीश झुकाथे, आगु मा जेकर ।।

 वो बेटी अनमोल हे जग मा, नफरत नहीं ओला प्यार दौ ।
जग मा तुंहर नाम जगाही, बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ ।।

🇮🇳जगदीश"हीरा"साहू🇮🇳
कड़ार (भाटापारा)