गुरुवार, 9 जून 2016

पागा कलगी-11//ललित वर्मा

मानुस जनम धरे के करजा उतार दव 
बेटी ल सुघ्घर सिक्छा अउ संस्कार दव
बेटी ह बने पढही,भविस्य ल सुघ्घर गढही
पुरखा रीत-नेत पाही,धरम अउ नेंग निभाही
सिरजनकर्ता ल सिरजन के हथियार दव
बेटी ल सुघ्घर सिक्छा अउ संस्कार दव
बेटी घर के मान,मर्यादा-सम्मान
दाई के हरे करेजा,ददा के नाक-कान
समता-ममता के गोदी म मया दुलार दव
बेटी ल सुघ्घर सिक्छा अउ संस्कार दव
बेटी मईके के डोंहरी,पिया के घर के फूल
दुनो बगिया म महके,अईसन सींच मत भूल
सीख अउ सदगुन के सोला सिंगार दव
बेटी ल सुघ्घर सिक्छा अउ संस्कार दव
बेटी सुख के सागर,सेवा करे उमर भर
गृहस्थी के एकठन मुडका,घर थामे रहिथे सुघ्घर
वोला सिक्छा के छानही संस्कृति के मिंयार दव
बेटी ल सुघ्घर सिक्छा अउ संस्कार दव
मानुस जनम धरे के करजा उतार दव
बैटी ल सुघ्घर सिक्छा अउ संस्कार दव
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रचना - ललित वर्मा
छुरा गरियाबंद छत्तीसगढ़

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