हाइकु-
बेटी ल सब,
सिक्छा संसकार दे,
पहिली तैं ह।
सिक्छा संसकार दे,
पहिली तैं ह।
तोर मेर तो,
पइसा बहुँत हे,
बेटी ल पढ़ा।
पइसा बहुँत हे,
बेटी ल पढ़ा।
ओला तो अब
जनम के दुखिया,
मत बना ग।
जनम के दुखिया,
मत बना ग।
तोर घर म,
बेटी ह अनपड़,
काबर हे ग।
बेटी ह अनपड़,
काबर हे ग।
शरम कर,
जग रचइया के,
हाल ल देख।
जग रचइया के,
हाल ल देख।
लाचार नोहय,
जगतजननी ए,
साक्षात् बेटी।
जगतजननी ए,
साक्षात् बेटी।
शुभम वैष्णव
ग्राम-भीमपुरी नवागढ़
जिला-बेमेतरा
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