शनिवार, 11 जून 2016

पागा कलगी-11 //शुभम वैष्णव

हाइकु-
बेटी ल सब,
सिक्छा संसकार दे,
पहिली तैं ह।
तोर मेर तो,
पइसा बहुँत हे,
बेटी ल पढ़ा।
ओला तो अब
जनम के दुखिया,
मत बना ग।
तोर घर म,
बेटी ह अनपड़,
काबर हे ग।
शरम कर,
जग रचइया के,
हाल ल देख।
लाचार नोहय,
जगतजननी ए,
साक्षात् बेटी।
शुभम वैष्णव
ग्राम-भीमपुरी नवागढ़
जिला-बेमेतरा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें