गुरुवार, 9 जून 2016

पागा कलगी-11//टीकाराम देशमुख "करिया

सब गहना ले बड़का गहना,
शिक्षा ह होथे संगवारी ;
पढ़ा-लिखा के पुतरी नोनी के ,
जिनगी ल संवार दौ |
जस बगराही जग मं संगी,
बेटी ल शिक्षा संस्कार दौ ||
झन समझौ 'कमती' बेटी ल,
बेटा ले बढ़ के होथे ;
दाई-ददा ले बिदा होवत बेर ,
बम फार के वो रोथे
साज-संवार सके ससुरार ल
अइसन तुम उपहार दौ ;
भले कुछु झन दे सकव फेर,
बेटी ल शिक्षा संस्कार दौ ||
मान बढ़ाते दू कुल के, वो
मया परेम ल बगराथे ,
मइके मेँ हो,या ससुरार मं
घर के शोभा बढहाथे ;
पढ़-लिख के "चूल्हा तो फुंकही",
भरम ल अपन निमार दौ ,
जस बगराही जग मं संगी ,
बेटी ल शिक्षा संस्कार दौ ||
@ टीकाराम देशमुख "करिया"
रेलवे कालोनी,स्टेशन चौक कुम्हारी
जिला_दुर्ग
मोब. 94063 24096

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