छत्तीसगढ़ के पागा कलगी क्रमांक 11 बर मोर ये रचना
।। बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार ।।
कोनो अपन बेटी ल झन दव ग मार
काबर अपन बेटी ल नई भावव
वहु ल दव बेटा बरोबर प्यार।
बेटी बर घलो बने होहि ये संसार
बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार।
।। बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार ।।
कोनो अपन बेटी ल झन दव ग मार
काबर अपन बेटी ल नई भावव
वहु ल दव बेटा बरोबर प्यार।
बेटी बर घलो बने होहि ये संसार
बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार।
जब तुमन थके मांदे घर म आथव
त बेटी ह सब ल हंसाथे।
तभो ले तुमन बेटी बर मया नई करव
तभो ले वोहा अपन मया लुटाथे।
मान लव तुमन बेटी ल बेटा बरोबर
अपन जीवन के अधार।
बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार।
त बेटी ह सब ल हंसाथे।
तभो ले तुमन बेटी बर मया नई करव
तभो ले वोहा अपन मया लुटाथे।
मान लव तुमन बेटी ल बेटा बरोबर
अपन जीवन के अधार।
बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार।
बेटी हरय घर के लक्ष्मी
सबो के चिंता ल दूर करथे।
सबो के राजदुलारी बिटिया रानी
घर आँगन ल महकाथे।
येकरे ले तो सजथे ग घर अऊ दुवार
बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार।
सबो के चिंता ल दूर करथे।
सबो के राजदुलारी बिटिया रानी
घर आँगन ल महकाथे।
येकरे ले तो सजथे ग घर अऊ दुवार
बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार।
बेटी जनम धरे हावय जग म
घर घर म जाके ये भरम मिटाही।
बेटी कभू काकरो बर बोझ नई होवय
सब समाज म ये अलख जगाही।
जेन बेटी ले मया करे बर नई जानय
ओकर जीना हावय ग धिक्कार
बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार।
घर घर म जाके ये भरम मिटाही।
बेटी कभू काकरो बर बोझ नई होवय
सब समाज म ये अलख जगाही।
जेन बेटी ले मया करे बर नई जानय
ओकर जीना हावय ग धिक्कार
बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार।
कहिथव न की नारी पढ़ही
त विकास करही।
या पढ़ा लिखा दव नारी ल
एक लईका के महतारी ल।
बेटी बेटा म भेद झन करव
लावव ग नवा विचार
बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार।
त विकास करही।
या पढ़ा लिखा दव नारी ल
एक लईका के महतारी ल।
बेटी बेटा म भेद झन करव
लावव ग नवा विचार
बेटी ल दव शिक्षा अऊ संस्कार।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983
ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983
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