बेटी ला सिक्छा संस्कार दौ
नोनी हर बाढ़ जाथे त दाई ददा के माथा के शिकन गहराथे ।
बने रिसता ल पाके गरूर म ददा सबो जोखिम ल मढ़ाथे।
नानकुन रहे बेटी तैं हर घर के रहे चिराई मैना ओ।
कुलकत लपकत कब बचपन पहाथे न ई जाने बर होय।
हाँसत खेलत संगी मन संग तैं हर समय बिताये ओ।
ददा के छाती दरकथे दाई गोहार लगाथे जब बेटी विदा के बेला आथे ।
अपन जी केटुकड़ा ल कैसे भेजी कहिके देंह कंपकंपाथे ओ।
न ई जाने बर होय कौन हर मारहि पीटहि कौन हाँसत बेटी के जी ल ले डारहि ओ
आवा सब झन किरिया खाई बेटी ल हमन पढ़ाबो रे पढ़ लिख जाही बेटी हमर त ओकर घर ल बसाबो ।
दू कूल ल तारहि बेटी हमर नावा रोशनी जगर मगर करही ।
हाँसत खेलत लैका मन संग नावा संदेशा ल गढ़ही ।
बने रिसता ल पाके गरूर म ददा सबो जोखिम ल मढ़ाथे।
नानकुन रहे बेटी तैं हर घर के रहे चिराई मैना ओ।
कुलकत लपकत कब बचपन पहाथे न ई जाने बर होय।
हाँसत खेलत संगी मन संग तैं हर समय बिताये ओ।
ददा के छाती दरकथे दाई गोहार लगाथे जब बेटी विदा के बेला आथे ।
अपन जी केटुकड़ा ल कैसे भेजी कहिके देंह कंपकंपाथे ओ।
न ई जाने बर होय कौन हर मारहि पीटहि कौन हाँसत बेटी के जी ल ले डारहि ओ
आवा सब झन किरिया खाई बेटी ल हमन पढ़ाबो रे पढ़ लिख जाही बेटी हमर त ओकर घर ल बसाबो ।
दू कूल ल तारहि बेटी हमर नावा रोशनी जगर मगर करही ।
हाँसत खेलत लैका मन संग नावा संदेशा ल गढ़ही ।
डॉ गिरजा शर्मा
क्वाटर नम्बर 225
सेक्टर 4/ए टाइप
बालको नगर कोरबा
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बालको नगर कोरबा
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