बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ
ये दुनिया मा आये के रस्ता देखत हे बेटी, कोंख मा झन मार दौ ।
जग मा तुंहर नाव जगाहि, बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ ।।
जग मा तुंहर नाव जगाहि, बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ ।।
दो-दो कुल के नाम जगाथे एक बेटी हर पढ़के ।
हमर जश के झंडा फहराहि आसमान मा चढ़के ।।
हर मौका देथौ बेटा ला , बेटी ला एक बार दौ ।
जग में तुंहर नाम जगाही, बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ ।।
जग में तुंहर नाम जगाही, बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ ।।
आगु बढ़त हे अब बेटी, झन रोकव रस्ता एकर ।
देवता घलो शीश झुकाथे, आगु मा जेकर ।।
वो बेटी अनमोल हे जग मा, नफरत नहीं ओला प्यार दौ ।
जग मा तुंहर नाम जगाही, बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ ।।
जगदीश"हीरा"साहू
कड़ार (भाटापारा)
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