गुरुवार, 9 जून 2016

पागा कलगी-11//दिनेश रोहित चतुर्वेदी

📃बेटी ल देव सिक्छा अउ संस्कार 📃
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बेटी गुन गावव ग, बेटी ल बढ़ावव ग
बेटी ल बचावव ग, बेटी ल पढ़ावव ग|
बेटी कुल तरइया ए, अंगना ल ममहइया ए
गरमी म अमरइया ए, रुख राई छइंहा ए|
बेटी ए अंधरा के लाठी, बेटी ए बुढ़वा के साथी
बेटी ए पुन्नी के राती, बेटी ए दिया के बाती|
बेटी मुड़ के चोटी ए, बेटी पेट के रोटी ए
बेटी मन के सागर म, सूतई भीतरी मोती ए|
बेटी घर के फुलवारी ए, बेटी लेहे घर दुवारी
बेटी दाई के चिन्हारी ए, बेटी ददा के दुलारी|
बेटी मन ल पढ़इया ए, बेटी पीरा पुछइया ए
बेटी आंसू पोछइया ए, बेटी शांति देवइया ए|
बेटी चारो दिसा ए, बेटी बेद के रिचा ए
बेटी हवा पानी ए, बेटी सब बर दुआ ए|
बेटी घर के सियान ए, बेटी पोथी पुरान ए
बेटी रिसी के धियान ए, बेटी गुरु गियान ए|
देवव बेटी ल सिक्छा अउ, देवव सुग्गर संस्कार
बेटी बिन सुन्ना दुवार, बेटी बिन सुन्ना संसार|
✍🏻दिनेश रोहित चतुर्वेदी
खोखरा, जांजगीर

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