गुरुवार, 9 जून 2016

पागा कलगी-11//ज्वाला विष्णु कश्यप

बेटी ला शिक्छा संस्कार दौ
अपन मन के भूत भरम ल,अब तो तुमन उतार दौ |
बेटी ल भेज के स्कूल म,शिक्षा अऊ संस्कार दौ ||
(१) राजा जनक ह सीता ल,दे रहिन हे शिक्षा |
तेखरे सेती सीता ह,जीत गे अगनी परीक्षा |
अंगठी पकड़ के बेटी के,कुछ तो अब अधार दौ | बेटी ल भेज .....
(२)शिक्षाअऊ संस्कार ल पाके,मान बढ़ाही कूल के |
अंधियारी अंजोरी के संग ,मया बोही मिलजूल के ||
मन ह झन मुरझावय,मया के पानी डार दौ ||बेटी ल भेज ......
(३) पढ़ लिख के बेटी ह,ससुरार एक दिन जाही|
मईके सही ससुरार घलो ल, सरग जईसे बनाही ||
अपन मन के बुझे दिया ल,बेटी के हाथ बार दौ ||बेटी ल भेज .....
(ज्वाला विष्णु कश्यप)
मुंगेली (छ.ग.)7566498583

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें