शनिवार, 11 जून 2016

पागा कलगी-11//ओमप्रकाश चौहान

🍁" बेटी ल शिक्षा संस्कार दव 🍁
पुन्नी के तैय चँदा बरोबर,
कुल के तैय तो दिया बाती।
चार वेद घला हरू हो जाही,
बेटी हर जब हमर सुग्घर सिक्छा पाही,।
सुख सागर के तैय भण्डारा बरोबर,
ये कुरिया के तैय तो दिया बाती।
धन दौलत सब भरम पड़ जाही,
बेटी हर जब हमर सुग्घर सिक्छा पाही।
छत्तीसगढ़ महतारी के तैय अंचरा बरोबर,
बपुरामन के तैय तो सुख दिया बाती।
जुनना रिती अउ सबो जुनना जाही,
बेटी हर जब हमर सुग्घर सिक्छा पाही।
कूपत अंधयारी के तैय सुकवा बरोबर,
जन मानस के तैय तो दिया बाती।
तीरथ धाम घला ठट्ठक-मुट्ठक हो जाही
बेटी हर जब कहुं सुग्घर सिक्छा पाही।
अंगना के तैय सुग्घर टिकली बरोबर,
चहल- पहल के तैय तो दिया बाती।
तुलसी चौरा कस सबे दिन पुज जाही,
बेटी हर जब हमर सुग्घर सिक्छा पाही।
परिवार बर तैय तियागे बरोबर,
' माँ ' नाव के तैय तो अदभूत दिया बाती।
ये करजा ले तब कोनो उबर पाही,
बेटी हर जब हमर सुग्घर सिक्छा पाही,,।
🌻 ओमप्रकाश चौहान🌻
🌴 बिलासपुर 🌴

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