संगी मोर परेवना आबे।
आतो तै मोर मइके जाबे।
उहां हे मोर सुरता के कुरिया।
रहिथे जिहां दुलरुवा भैया।
पहुंच कपाट के कुंडी अइठबे।
पांयलगी कर कलाई म बइठबे।
बइठ गुटर गू कहिबे देबे।
ए..ले तोर बहिनी के राखी ल...
आतो तै मोर मइके जाबे।
उहां हे मोर सुरता के कुरिया।
रहिथे जिहां दुलरुवा भैया।
पहुंच कपाट के कुंडी अइठबे।
पांयलगी कर कलाई म बइठबे।
बइठ गुटर गू कहिबे देबे।
ए..ले तोर बहिनी के राखी ल...
उहां ले उड़बे सुरता के बारी।
जिहां मिलही मोर महतारी।
ओंढ़ के ओकर अंचरा लुकाबे।
चेत लगाके सुन झन भुलाबे।
गर पोटार के कोरा म बइठबे।
बइठ गुटर गू कहिबे देबे।
ए..ले तोर दुलौरीन के पाती ल...
जिहां मिलही मोर महतारी।
ओंढ़ के ओकर अंचरा लुकाबे।
चेत लगाके सुन झन भुलाबे।
गर पोटार के कोरा म बइठबे।
बइठ गुटर गू कहिबे देबे।
ए..ले तोर दुलौरीन के पाती ल...
उहां ले उड़ जाबे बहरा खार म।
बइठे होही मोर ददा पार म।
मयारू ददा के पांव ल छूबे।
पांव छुवत झन आंसू बहाबे।
संउहे खड़े हो पांख फइलाबे।
पांख फइलाय गुटर गू कहिबे बताबे।
कतर गे तोर चिड़िया के पांखी ह...
बइठे होही मोर ददा पार म।
मयारू ददा के पांव ल छूबे।
पांव छुवत झन आंसू बहाबे।
संउहे खड़े हो पांख फइलाबे।
पांख फइलाय गुटर गू कहिबे बताबे।
कतर गे तोर चिड़िया के पांखी ह...
भेजे मोला पहुंचाये बर राखी ल...
झन गिराबे आंसू ददा आंखी ल...
झन गिराबे आंसू ददा आंखी ल...
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर,कवर्धा
गोरखपुर,कवर्धा
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