बहिनी के पाती ले जा रे परेवना,
भाई ल कही देबे संदेश।
बहिनी के राखी ले जा रे चिरइया,
प्रेम के देइ देबे उपदेश।।
भाई ल कही देबे संदेश।
बहिनी के राखी ले जा रे चिरइया,
प्रेम के देइ देबे उपदेश।।
भाई ल कहिबे परेवना,
बहिनी तोरे बने हावय।
संसो फिकर झन करही,
भांची भांचा रेंगत हावय।
कछु के फिकर न कलेश......
परेम के देही देबे उपदेश।।
बहिनी तोरे बने हावय।
संसो फिकर झन करही,
भांची भांचा रेंगत हावय।
कछु के फिकर न कलेश......
परेम के देही देबे उपदेश।।
अबड़ सुरता आथे तोरे,
भेंट होही त कहिबे।
दुःख के कोनो बतिया,
इहाँ के झन कहिबे।
आगू बढ़य बनय नरेश........
प्रेम के देही बे उपदेश।।
भेंट होही त कहिबे।
दुःख के कोनो बतिया,
इहाँ के झन कहिबे।
आगू बढ़य बनय नरेश........
प्रेम के देही बे उपदेश।।
राखी मोरो बाँध लिही,
बहिनी बाँधथे समझ के।
मीठा बोली बोलिबे बने
गोथियाबे बात बने मगज के।
कड़ा गोठ म पहुँच थे ठेस.......
परेम के देहि देबे संदेश।।
बहिनी बाँधथे समझ के।
मीठा बोली बोलिबे बने
गोथियाबे बात बने मगज के।
कड़ा गोठ म पहुँच थे ठेस.......
परेम के देहि देबे संदेश।।
अपनों खियाल रखही,
संग अपनों परिवार के।
काँटा गोड़ म झन गड़य,
पाँव रखही निमार के।
मोदक चढ़ाही उत्सव गणेश......
परेम के देहि देबे उपदेश।।
संग अपनों परिवार के।
काँटा गोड़ म झन गड़य,
पाँव रखही निमार के।
मोदक चढ़ाही उत्सव गणेश......
परेम के देहि देबे उपदेश।।
रचना:-
पी0पी0 अंचल
हरदी बाज़ार कोरबा
पी0पी0 अंचल
हरदी बाज़ार कोरबा
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