मोर सुख दुःख के तें संगवारी,
अब तोर हाबय सहारा ।
बिच भवर म फसे हाबय,
तहिं लगा दे किनारा।
आज पुनीमा सावन के ये,
भाई जोहत रस्ता।
मोर राखी म मया भरे हे,
न मंहगा न सस्ता।
जारे परेवना उड़ जा तेंहा,
मोर भाई के देशे।
राखी संग म लेजा भइया,
ते मोरे संदेशे।
कहिबे भइया तोर बहिनी ह,
हाबय अबड़ अभागिन।
महल अटारी भेज के मोला,
दाई ददा ह तियागिन।
दया मया ल राखबे भइया,
आबे कभु मोर गांवे।
राखी मेहा भेजत हाबव,
बांध लेबे मोर नावे।
जे रस्ता ले जाबे परेवना,
उहि रस्ता ले आबे।
जोहत खिड़की ठाढ़े रइहुं,
भाई के सन्देसा लाबे।।
दिलीप वर्मा
9926170342
अब तोर हाबय सहारा ।
बिच भवर म फसे हाबय,
तहिं लगा दे किनारा।
आज पुनीमा सावन के ये,
भाई जोहत रस्ता।
मोर राखी म मया भरे हे,
न मंहगा न सस्ता।
जारे परेवना उड़ जा तेंहा,
मोर भाई के देशे।
राखी संग म लेजा भइया,
ते मोरे संदेशे।
कहिबे भइया तोर बहिनी ह,
हाबय अबड़ अभागिन।
महल अटारी भेज के मोला,
दाई ददा ह तियागिन।
दया मया ल राखबे भइया,
आबे कभु मोर गांवे।
राखी मेहा भेजत हाबव,
बांध लेबे मोर नावे।
जे रस्ता ले जाबे परेवना,
उहि रस्ता ले आबे।
जोहत खिड़की ठाढ़े रइहुं,
भाई के सन्देसा लाबे।।
दिलीप वर्मा
9926170342
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