गुरुवार, 25 अगस्त 2016

पागा कलगी-16//13// गुमान प्रसाद साहू


लेजा रे परेवना..लेगी जा मोर भइया बर तै राखी।
पहूचा देबे मोर भइया अंगना,बन जाबे मया के तै साखी।
राखी संग तै लेजा परेवना,
भइया बर मोर मया चिनहारी।
ले के संदेशा उतर तै जाबे,
भइया के मोर अंगना दूआरी।
रसता ल तोरे जोहत हे कहिबे..
बहिनी तोर गड़ाये आंखी।
लेजा रे परेवना..लेगी जा मोर भइया बर तै राखी।
कहि देबे संदेशा भईया ल,
बने बने हावय बहिनी तोर।
नइ आ पावे बहिनी तोर आसो,
बांध लिही भइया राखी ल मोर।
सोर संदेश मोर मइके के लाबे,
फैलाके परेवना तै ह पाँखी।
लेजा रे परेवना..लेगी जा मोर भइया बर तै राखी।
दाई ददा के मोर सूध ले लेबे,
ले लेबे सूध भऊजाई के।
करत रथे कहिबे तुहरे सुरता,
बचपन के सूध ल लमाई के।
पहूचा संदेशा तै लहूट आबे परेवना,
लकठीया गे हे तिहार राखी।
लेजा रे परेवना..लेगी जा मोर भइया बर तै राखी।
रचना :- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा ( महानदी ) मो.9977313968
आरंग जिला-रायपुर

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