शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

पागा कलगी-16 //15//लक्ष्मी करियारे

तर्ज -- सुवा गीत
* अँचरा ल चीरी-चीरी चिट्ठियाँ भेजत हव रे परेवना के
लेजा मोर भइया बर सोर..
न रे परेवना के लेजा मोर भइया बर सोर...
* भाई - बहिनी के मया ये बंधना राखी अमरादे रे परेवना के जिंवरा अमर होइ जाए तोर..
न रे परेवना के जिंवरा अमर होइ जाए तोर...
* बहिनी के मया चिनहा सूत हे कच्चा न रे परेवना के बाँधी लेबे रेशमी डोर..
मोर भइया ग बाँधी लेबे रेशमी डोर...
* राखी तिहार मइके गजब हे दुरिहा रे परेवना के सुरता आँसु भीजे अंचरा छोर..
न रे परेवना के सुरता आँसु भीजे अंचरा छोर...
* चंदा कस उज्जर मोर भइया के मुख लागे न रे परेवना के माथे चंदन तिलक अंजोर..
न रे परेवना के माथे चंदन तिलक अंजोर...
* नंजर झन लागे मोर भइया ल ककरो रे परेवना के लेजा काजर आंखी के कोर..
न रे परेवना के लेजा काजर आंखी के कोर...
* सुख - सुख बितय मोर भइया के जिनगानी न रे परेवना के देबे आशीष करव विनती कर जोर..
न रे परेवना न के देबे आशीष करव विनती कर जोर...
लक्ष्मी करियारे 

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