काबर फरकत हे गज़ब आज मोर आँखी
भाई बहिनी के मया के तिहार आवत हे राखी।
भाई बहिनी के मया के तिहार आवत हे राखी।
जा जा रे सुवना जल्दी उड़ावत दोनों पाखी
पहुँचा दे रे सुवना मोर सन्देशा के पाती।
पहुँचा दे रे सुवना मोर सन्देशा के पाती।
झन बिलम जाबे रे सुवना कोनो तिरा
देखत होही भाई रद्दा धधकत हे मोर छाती।
देखत होही भाई रद्दा धधकत हे मोर छाती।
बलम परदेशिया सास ससुर बीमार हे
दाई ददा के शोर कर लेबे कहि देबे नइ आवत हे तोर बेटी।
दाई ददा के शोर कर लेबे कहि देबे नइ आवत हे तोर बेटी।
जल्दी जा रे मोर बिपत के हरइया संगी
सुरता आवत हे मइके के जा रे मोर सेती।
सुरता आवत हे मइके के जा रे मोर सेती।
संगी सहेली अउ गांव बस्ती के शोर ले लेबे
सबके कर लेबे हाथ जोड़के बिनती।
सबके कर लेबे हाथ जोड़के बिनती।
ज्ञानु मानिकपुरी"दास"
चंदेनी कवर्धा
चंदेनी कवर्धा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें