सोमवार, 29 अगस्त 2016

पागा कलगी-16 //19//कन्हैया साहू "अमित" *

आंसू बन अमावत हच भाई आंखी म।
सावन के झङी झरय सुरता राखी म।।...
नान्हेंपन बङ होयेन झगरा,
बिटोवन भारी देखा के नखरा।
घेरी बेरी रिस, हांसे फेर निक,
रोवत हांसत खेलेन संघरा।।
मया पलपलाय जबर तभो छाती म।१
सावन के झङी झरय सुरता राखी म।।...
सुख पीरा जुरमिल के बांटेन,
एक दुसर बर लबारी मारेन।
बिपत म संगी,बखत म ठेनी,
लइकापन म पदोना डारेन।
सुररत रथंव सुरता दिन राती म।२
आंसू बन अमावत हच भाई आंखी म।।...
सीमा म डंटे तैं बन के सिपाही,
देस सेवा तोर जिनगी सिराही।
तिहार बहार सुरता अपार,
घर आये के कब संदेसा आही।।
अगोरा म निहारत रथंव मुहांटी ल।३
सावन के झङी झरय सुरता राखी म।।...
चिट्ठी पतरी सोर न संदेस,
बङ दुरिहा भाई गे परदेस।
बांध लेबे तैं मया डोरी कलई,
भेजे हंव असीस दुवा बिसेस।।
जोरे पठोएव परेवना पांव पांखी म।४
आंसू बन अमावत हच भाई आंखी म।।..
सावन के झङी झरय सुरता राखी म।।....
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*कन्हैया साहू "अमित" *
शिक्षक~भाटापारा
जिला~बलौदाबाजार छ.ग.
©®............

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