रविवार, 6 मार्च 2016

पागा कलगी 5//मिलन मलरिहा


........"बाटी-भँवरा-फल्ली ले सब दूरिहाय"..........
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ओरवाती के चुहत अटकन बटकन म सब जुरियाय
बादर के तिरयाती बेरा फुगड़ी-कितकित मन भाय
होवत मझनिया नोनी-बहनी अट्ठी खेले सकलाय
गलि-गलि म तीन पग्गा चाल-चिचोला फोड़ जमाय
टीबी सनिमा गोठ देखसिख, बिदेसी, अब अपनाय
किरकेट म झपाके टींकू , गुल्ली-डण्डा छोड़ भुलाय
तईहा के खेल बाटी-भँवरा-फल्ली ले सब दूरिहाय
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अलसिहा होगे नोनी-बाबु, पटरपीटिर भर दबाय
मोबाईल म गेम खेतल बइठे घन्टो आखी गड़ाय
लुका-छिपा, छू-छूवाऊल, म गोड़ ल नई उसलाय
भागा-दउड़ा म कसरत होय, कोन ओला समझाय
मिहनत ले डरईया जूग आगे, सबो हे पेट बड़हाय
डनडा-पचरंगा, पथरा-छुवाऊल जाने कति नंदाय
तईहा के खेल बाटी-भँवरा-फल्ली ले सब दूरिहाय
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धर- पकड़ -कबड्डी खेलइया जाने कहां गवाय
अबके पहलवान दिखेभरके, तन ल हवय फूलाय
धरय, कुदारी-गैती कभू झिनभर म हफर-जाय
कूलर के रहइया लईका, घाम देख माथा चकराय
जिन्स पहिरके खो-खो म कइसे , दऊड़ लगाय
परी-पथरा खेल ल पुछबे, त सोन-परी ल बताय
छत्तीसगढ़ी रिति-खेल भूलाके बिमारी ल परघाय
तईहा के खेल बाटी-भँवरा-फल्ली ले सब दूरिहाय
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मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर
9098889904

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