बुधवार, 9 मार्च 2016

पागा कलगी 5//नवीन कुमार तिवारी

गवई के खेल नंदागे हवे,,
भोरा बांटी, कंची पन्दोलनि ,
तू तू कहत साँस हा भरौनी ,
लंगड़ी कूदत गड़ौनी खेलत
डंडा पचरंगा ,गोबर गिल्ला ,
गिल्ली डंडा फूल गेंदवा भुलागे
पुक ले मारे पथरा छरियागे
खेले नोनी बिल्लस फुगड़ी,
खो खो कहत दिन पोहागे
गोल गोल रानी इत्ता इत्ता पानी
पहाड़ नदिया बनाके कूदत गली मचान ,
घेरा म बैठे तेंहा काबर भुलागे ,
सोंटा पढ़ीस तभो भुलागे
नव गोटिया घलो नंदागे
पुतरा पुतरी के बिहाव कराये
फेर दहेज़ देबर तेन्ह भुलागे,
रुख राई चढ़े चिरई जाम तोड़े के उदीन
फेर बोइर घलो झर्रागे ,
झांझ चलत तरिया नहाये
भैँसा पुंछी धरे नदिया सुखागे
पूछत संगी ले जनवूला के पाती
धुंवा उड़ावत माई चले
पाछू पाछू लइका दौड़े
वोहू दिन बिसरागे ,,,,,
सोज्झे कहत हवस संगी ,
हमर छत्तीसगढ़िया के जम्मो खेल बिसरागे,,,


नवीन कुमार तिवारी
9479227213

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