गुरुवार, 10 मार्च 2016

पागा कलगी 5//राजेश कुमार निषाद

। खेल हमर नंदागे ।।
जब ले सिनेमा आगे ग
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
बड़े बिहनिया गली खोर म खेलन भऊरां बाटी।
रेस्टिप अऊ छू छुऔल खेलन सब संगी साथी।
कहाँ पाबे अब ओ खेल ल
सब क्रिकेट म झपागे ग।
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
कतेक सुघ्घर लागे दीदी बहिनी मन के खेलई फुगड़ी गोटा अऊ बिल्लस।
हमन खेलन तिरीपसा तिग्गा अऊ राहन बिंदास।
पर आज के महिला सीरियल में मोहागे ग।
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
गुल्ली डंडा के बात निराला
डंडा पचरंगा खेलन धूप म।
भरे मंझनिया तरीया म डुबकन कुदन चढ़ के रुख म।
पर ओ दिन ल अब कहाँ ले लाबे ग।
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
पिट्ठूल खेलन खपरा सकेल के।
छुक छुक रेलगाड़ी खेलन एक दूसर ल ढकेल के।
गिरत पानी म कागज के डोंगा चलान।
पानी ल छेक के पीपर पान के तुरतुरी लगान।
अईसन खेल अब कहाँ पाबे ग
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
निम फर अऊ बमरी काँटा के ढेलवा झूला बनान।
बर पत्ता के फिलफिलि बना के उड़ान।
कच्चा माटी के दिया बना के फोड़न।
चौरा म खड़ा होके नदी पहाड़ खेलन।
खो खो कबड्डी खेले बर नाम अपन बताबे ग।
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983

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