मंगलवार, 19 जनवरी 2016

पागा कलगी-2// देवेन्द्र ध्रुव

छत्तीसगढ के पागा "कलगी क्र..02"
छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता बर रचना.....
विषय -दे गे चित्र के भाव ला अपन शब्द मा गढना..
"मेहनत मोला मंजुर"
काम मा लगे हावव मैहर ननपन ले..
बचपना नंदागे जी मोर बचपन ले..
मोला तो अब मेहनत हावय मंजूर..
भले गरीबी मा जीये बर हावव मजबुर..
रोज दिन बेरा के मार सहिथव..
नानकुन भाई ला पोटारे रहिथव..
दुख पवई ला भाग मा लिखा के लाने हव..
सुख के छईहां ले  हावव अबडे दुर..
मोला दुनो झन के भविष्य  ला सोचना हे..
कमई करके दुनो के पेट ला पोसना हे..
कभुं तो हमरो दिन बहुरही..
ऊपरवाला प्रार्थना ला करही मंजुर..
पईसा डोला देथे सबके ईमान सुने हो..
भीख मांगे ले बढिया मैहर काम चुने हो ..
कामयाबी के सपना मैहर बुने हो..
भरोसा हे  मोला मेहनत रंग लाही जरुर..
आज ऐ दुनिया आंखी देखाथे..
रोज रोज कतको आंसु रोवाथे..
पता नही कोन कसुर के सजा पावत हो..
मैंहर अबोध लईका हावव बेकसुर..
दुनिया अइसने गरीब के मजाक उडाथे.. असल बेरा मा सब हाथ छोडाथे..
मतलब के संसार मा कोनो पुछईय्या ऩईहे..
दुसर के दुख मा हंसना हे दुनिया के दस्तुर..
लईका ला देश के भविष्य  कहवईय्या हो..
ओकर हक के बात करईय्या हो..
जब बचपन अइसने गुजरही ता काली के का..
सब ऐ बात ला ध्यान से सोचहुं जरुर.....
        रचना
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देवेन्द्र  कुमार ध्रुव
(फुटहा करम )बेलर (फिंगेश्वर )
जिला- गरियाबंद (छ.ग.) 9753524905

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