रविवार, 3 जनवरी 2016

"छत्तीसगढ के पागा" क्र 5 / विषय-डोकरा


1- डोकरा के बने जतन करो ग -श्री नवीन कुमार तिवारी

डोकरा के बने जतन करो ग ,,
डोकरा के सन्मान करो ग ,
डोकरा होते विरासत समाज के ,
डोकरा होते सियनहा गवई समाज के ,
डोकरा के घु डकना बिदकना
अलहन बद्दी ले बचाये के रद्दा
डोकरा के खुसुर खासर में
होते कारन कुछु समझाये के
डोकरा होते बुढुवा सियान गांव घर के ,
जइसे होवतगोठन के बुदुवारुख राई के ,
बरगद पीपर आम नीम के ,
झेखर छाहिन्या में खेलत जम्मो लइका गवाई के ,
पोसवाते सब्बो समाज गवाई के
डोकरा होते इतिहास पुरुष समाज के
पोटट होवत नियाय ओखर
जानत रहिथे नीति नियम समाज के
नाव होवत गांव सियनहा के
डोकरा के बताये गियान ले सीखो ग,
डोकरा के बताये नियाय ल परखो ग,
डोकरा के बताये रद्दा ल जानो ग,
डोकरा के बताये अपन इतिहास ल जानो ग,
अपन समाज ,गवई, देश के,
पहिचान ल बगराना हवे तो ,
दिन दुनिया समाज ले ,
अपन बानी ल मनवाना हवे तो ,
जम्मो परदेश में अपन बयार बहाना हवे तो ,
जम्मो डोकरा सियान के
करना है सन्मान जी ,
उहिच्च ले मांगना हवे ,
अग्घु जाये के रद्दा बातही,
दिही विकास बर बुधि अवु गियान ,

-नवीन कुमार तिवारी ,
एल आई जी १४/२
नेहरू नगर पूर्व
भिलाई नगर जिला दुर्ग
छत्तीसगढ़ ४९००२०
९४७९२२७२१३। .

2-नवीन कुमार तिवारी

डोकरा ददा के रवानी बने हवे,,
सब्बो झन भरत पानी हवे,,
सियान के झोखा मढ़ाले संगी ,
डोकरा ददा के सिरतोन खियाल कर ले संगी ,
,बिसराहु तो होही जी अलहन ,,
हमर गवाईमेनि चले वृद्धाश्रम संगी \
सियान सियनिन के करबों सुग्घर जतन संगी
उंखर मिलहि आशिस संगी ,
ये बेईमानी के गोठ नई ये संगी
सियान मनखे के शराफ़े ले होते,
अब्बर कल्लई संगी ,
जैसे देवता धानी के शराफ हा संगी
अपन सियान डोकरा के करो जतन
बुड़वा मनखे के हालत होते
चुटकुन नानकुन लइका समान
छुटकुन में जैसे धरते रोग राई जियादा
वइसने डोकरा कम्जोरिह के भी होते सजा
ठंड के झोखा , लइका बुढवा दुनू बार सजा
बारिश पानी हा दुनू बर मजा
जैसे छुटकुन में दाई ददा हा ,
हमनल पाले पोस के सुग्घर बनायिस संगी ,
अपन हिस्सा के साग रोटी
बचा के खवाइस संगी
तभभेबने हावन पोटट संगी
अपन अध पेट खाके करइस हमर जतन संगी
\तेखर करजा कइसे उतरही संगी ,

नवीन कुमार तिवारी ,,,,८.१२.१५

3- देखहू उपर बईठे हे भगवान-शालिनी साहू

अपने जमाना के गोठ ल गोठियाही
नाती पंतो कहिके मया के बात बताही
सही करम ल करे बर चार आखर ल सिखाही
सुग्घर जिनगी नियाव के पाठ ल बताही
कतको हसी ठिठोली करले नतनिन कहिके बलाही
राजा रानी दुनिया दारी के कहानी सबला सुनाही
चार आना बचाय बर बताही
अपने जमाना के गोठ ल गोठियाही
संझा बिहनिया खोख खोख खासत हे
चोंगी पीयत गोरसी ल तापत हे
एको बिजा दात नईये चना मुर्रा ल सोरियावत हे
नाती नतनिन बहू सब डोकरा ल खिसयावत हे
जब ले आईस बुढापा कोनो नई भावत हे
अब खटिया म बईठे प्रभु के आस लगावत हे
काम बुता बनि भुती म जीनगी पहागे
आखी कान नई दिखत धरसा म बोजागे
सबके करनी ल देखत हे उपर बईठे हे भगवान
आज ओकर पारी हे कल हमरो ओसरी हे मितान
जम्मो लईका माई पिला ल देवय सही परख के गियान
सुमरन करव अपन बढापा ल, कर लव अतित के धियान
सब झन ल लेगही देखहू उपर बईठे हे भगवान
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
शालिनी साहू
कुरुद साजा
बेमेतरा छत्तीसगढ

4-  डोकरा सियान के सममान करव -श्रीअशोक साहू

पेड़ ह चाहे कतको बुढावय
फेर देथे छांव ल सुग्घर।
सियान ह कतको डोकरा हो जाय
फेर बड संसो घर परवार बर।।
जियत भर ले बेटा नाती बर
दरर दरर के कमाथे।
उमर खसलिस ताहन बेटा बहु ह
डोकरा ल तिरियाथे।।
डोकरा के हर गोठ म
ओकर जीनगी के अनुभव समाय हे
ओकरे गियान के गोठ ल धरबो
हमला दुनिया उही देखाय हे।।
ओकरे पांव के चिनहा म चलके
जिनगी अपन संवारबो।
नई तरसावन डोकरा के मन ल
मान ल एकर बढाबो।।
सियान बिना गियान नई मिलय
बने नई चलय परवार के गाड़ी।
डोकरा सियान के सममान करव
झन बनावव ओला कबाडी।।
अशोक साहु , भानसोज

5-डोकरा ......श्रीलक्ष्मीनारायण लहरे

घर के टूटहा परछी ल धुरीहा ल देख के मुचमुचावत गुनत हावे
नोनी बाबु के किलकारी ल धुरीहा ल सुनत हावे
मन म अबड पीरा भरे हे लाठी म टूटहा परछी ल सुधारत हावे
जांगर रहिस त डोकरा झुझुलहा ल सबो काम करके सुसतावे
अब चिंता धरेहे मन म नोनी बाबु के किलकारी ल धुरीहा ल सुनत हावे
बेटा मोबाईल वाला बहु ल काम ल फुरसत निये
सबो ल सोच के डोकरा मने मन गुनत हावे
कोनो नी सुनत समझत हावे डोकरा के मन के गोठ
बेटा ल खोजत हावे ओखर संगवारी
डोकरा सबो ल समझ के मने मन मुचमुचावत गुनत हावे ....
#लक्ष्मी नारायण लहरे

6-श्री मिलन मलरिहा

1-  
उठ बिहनिया कोंघरे कनिहा
खोखोर खोखोर खासत हे
संझा बिहनिया डोकरा बबा
खटिया तरी गोरसी ल तापत हे
ठेठरी खुर्मी सोहारी बरा भजिया
मुह म नई चबावत हे
मन के साग भाजी नइ चूरय
त दिनभर चिल्लावत हे
बेटा बेटी नाती पत्तो साबों
ओला देख तिरयावत हे
अब का करय डोकरा बबा
कोनोच नइ ओला भावत हे
जब ले आइच बुढ़ापा भईया
घर के बईला न घाट के
जग हसाई ओकर होगे
प्रभु के होगे ओला आस
कुकर बिलाई कस जिनगी होगे
जल्दी बुलाले मोला अपन पास
आखी हर झुकझुकावत हे
अउ कान ह बोजागे
काम बुता बनि भूति
करत करत जिनगी ह पहागे
अब का करही डोकरा बबा
कोनोच नइ ओला भावत हे
अब कारर मेर लगाही गोहार
सबझन ओला बिदारत हे
दाई—ददा ल झन तरसावा संगी
सबके करनी ल देखत हे भगवान
पारी आज डोकरा बबा के हावय
पाछू तोर हेवय मितान
जम्मो लईका जवान,डोकरा सियान
सबला ले जाही एकदिन भगवान


मिलन मलरिहा मल्हार बिलासपुर
7-

# डोकरा#@दोहा@गीत
"""""""""""""''''""""""""""""""""""""""""
रचना-मिलन मलरिहा
///////////////////////////////////
जेन आथे इहा भाइ, एकदिन माटि समाय।
नसवर हे सनसार जी, डोकरा बनत जाय।।
छोड़के जाना सबला, काहे गरभ दिखाय।
तन हे ठूड़गा बमरी, चुल्हा ले जोराय।।
सबला जाना इहा ले, खालि हाथ सकलाय।
नसवर हे ..........................................।।
फेर का बात के मोह, का बात के दुखाय।
का बात गरभ डोकरा, मोला नई बताय।।
पारी तोर हवय आज, पाछु मोला बलाय।
नसवर हे ..........................................।।
जावत बेरा अकेल्ला, कोनो संग न आय।
बने बने म सब तोला, चूस चूस के खाय।।
घिलरगे जेनदीन तन, ओदिन जी फेकाय।
नसवर हे ..........................................।।
दात सब झरगे ओकर, अब कछु नई चबाय।
दुख होगे बड़ बबा के, सुमरय जलदि उठाय।।
फेसन म बेटा-पत्तो, सब दुरिहा हट जाय।
नसवर हे ............................................।।

।।
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर


8-
~~~~~~~~~~ डोकरा ~~~~~~रोशन पैकरा "मयारू"
लइका पन मा खेले कूदे
मया म भुलाये जवानी
अब जिन्दगी पहा गे डोकरा
धर डरे हस गोटानि
बड़े बिहिनिया उठ के डोकरा
खोरोर खोरोर ते ख़ासे
बीड़ी ला पियत हस फुकुर फुकुर
बाद में कुकरा बांके
चहा बर जी ललचाये हे
बहू आगी नई बारे हे
खटर-पटर करत हे डोकरा ह
चूल्हा में मुँहू ताके हे
नहाये बर देखो डोकरा ह
तिपोय पानी ला मांगत हे
अब बड़बड़ाये तोर बहु ह
पानी बर गारी खाये हे
साग में मिर्चा जादा होंगे
डोकरा ल नई मिठाये हे
जम्मो दांत पहली के गिरगे
अब दिन पानी पी के पहाये हे
सुरता करत हाबय डोकरा
अपन डोकरी के मया ला
मया लगा के खवावय डोकरी
खीर सोहारी अउ बरा ला
घर ले निकलिस घुमे बर डोकरा
संगी मन सो बतियावत हे
छोड़ के जम्मो दुःख पीरा ला
संगवारी करा सुख पावत हे
संझिया कुन घर आ के डोकरा
अपन कुरिया म बइठे हे
नाती नतरा मन टीवी देखत हे
अउ बहू के मुँह ह अइठे हे
रतिहा कुन खा पी के डोकरा
सोये दसना म सुते हे
अउ अपन मन में सोचत हे
मोर दिन कब पुरे हे मोर दिन कब पुरे हे
================================
रचनाकार
रोशन पैकरा "मयारू"

9- श्री राजेश कुमार निषाद
।। बुढ़वा होगे जवान रे ।।
आज कल के लईका बुढ़वा होगे
अऊ बुढ़वा होगे जवान रे।
नान नान टुरा मन के चुंदि पाक गे
देवव सब ध्यान रे।
घर के मुखिया डोकरा बने हे
देवय सब ल ताना रे।
घर अईसन बनाय हे संगी
जइसे लगत हे रजघराना रे।
जिन्स शर्ट पहिर के गली गली घुमय
देवय सब ल ज्ञान रे।
आज कल के लईका बुढ़वा होगे
अऊ बुढ़वा होगे जवान रे।
बीड़ी पिये बर छोड़त नई हे
खेसेर खेसेर खाँसत हे।
एकर टेस मरई ल देख के
गाँव के टुरा मन हाँसत हे।
मिठ बोले बर तो आय नही
निकले हमेशा कड़वा जुबान रे।
आज के लईका बुढ़वा होगे
अऊ बुढ़वा होगे जवान रे।
बहू बेटा ल नई समझत हे
अपन बुढ़ापा के सहारा।
अईसन टेसिया तो डोकरा हे
अपन आप ल मानत हे कुंवारा।
एकर चरित्तर ल देख के
बहू बेटा होगे परेशान रे।
आज कल के लईका बुढ़वा होगे
अऊ बुढ़वा होगे जवान रे।
धोती बंगाली ह नदागे
जीन्स शर्ट के जमाना आगे।
पाके चुंदि म करिया डाई लगाय
अईसन ये बहाना आगे।
फेर ये डोकरा नई माने अपन आप ल सियान रे।
एकरे सतिन काहत हव संगी
आज कल के लईका बुढ़वा होगे
अऊ बुढ़वा होगे जवान रे।

रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद ( समोदा )

10-हेमलाल साहू
दात ला देख हालत हावे।
चुॅदी, मेछा डाड़ही पाके।।
लउठी ल धरके बबा रेगे।
देखले कनिहा नवे हावे।।
आॅखी ह कमजोरहा होगे।
देखव बबा डोकरा होगे।।
जाड़ के दिन गोरसी तापे।
गरमी म घाम अड़बड़ लागे।।
आनी बानी गोठ बताथे।
बबा के गोठ सुघ्घर लागे।।
चोगी पीयत रद्दा रेगे।
होत बिहनीया गाव जावे।।
पहीरे पाव भदई हावे।
रेगय डोकरा लउठी धरके।।
दसरू बबा नाव के हावे।
देख बबा ह डोकरा होगे।।

हेमलाल साहू
ग्राम गिधवापो. नगधा,
तह.नवागढ़ जिला बेमेतरा छ.ग.





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