रविवार, 24 जनवरी 2016

पागा कलगी क 2// रामेश्वर शांडिल्य

जिनगी के बोझा
मासूम मुंह म गरीबी झलकत हे।
पेट के खातीर सडक म भटकत हे।
भीख नहीं कुछ करके पेट भरथे।
जिनगी पहार ये त येला चघथे।
नरी म डोरी पेट म पटरा थामे  हे।
छोटे भाई ल पीठ म बांध लादे हे।
पीठ म भार पेट  म भार
कैइसे होही जिनगी पार।
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा
8085426597

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