जिनगी के बोझा
मासूम मुंह म गरीबी झलकत हे।
पेट के खातीर सडक म भटकत हे।
भीख नहीं कुछ करके पेट भरथे।
जिनगी पहार ये त येला चघथे।
नरी म डोरी पेट म पटरा थामे हे।
छोटे भाई ल पीठ म बांध लादे हे।
पीठ म भार पेट म भार
कैइसे होही जिनगी पार।
पेट के खातीर सडक म भटकत हे।
भीख नहीं कुछ करके पेट भरथे।
जिनगी पहार ये त येला चघथे।
नरी म डोरी पेट म पटरा थामे हे।
छोटे भाई ल पीठ म बांध लादे हे।
पीठ म भार पेट म भार
कैइसे होही जिनगी पार।
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा
8085426597
हरदीबाजार कोरबा
8085426597
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें