सोमवार, 18 जनवरी 2016

पागा कलगी-2\\ श्री सुखन जोगी

छत्तीसगढ़ के पागा कलगी क्र. २  बर मिले रचना
"इच्छा हे मोरो पढ़हे के "-श्री सुखन जोगी
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
इच्छा हे मोरो पढ़हे के ,
सिच्छा के रद्दा म चले के !
ददा गय सरग सिधार ,
दाई हे घर म बिमार !
ठाने हंव करम करे बर ,
नानचुन दु कंवरा के पेट भरे बर....१
इच्छा हे मोरो पढ़हे के ,
पिठ म बस्ता धरे के !
तेखरे सेति पान बेंचथंव ,
ननपन के अपन जान बेंचथंव !
कुसियार कस तन ल पेरथंव ,
जांगर के रसा हेरथंव...............२
इच्छा हे मोरो पढहे के ,
जुता, मोजा, कुरता पहिरे के ,
संगी संग जाये के ,
पढ़ के इस्कूल ले आये के ,
फेर , गरीबी ह मार डारथे !
त मन ह काम डहर जाथे .............३
इच्छा हे मोरो पढहे के ,
पढ़के गुरूजी बने के !
बरबाद झन होय कोनो लईकन ,
अईसन जीवन गढ़हे के !
सपना हे मोरो ,
जीवन म आगु बढ़हे के................४
इच्छा हे मोरो पढहे के ,
इस्कूल के होमबर्क करे के !
गिनती ल लिखे के ,
पहाड़ा ल सिखे के !
फेर कुरता बर तरसथंव ,
एक रूपिया बर भटकथंव............५
इच्छा हे मोरो पढ़हे के ,
सिढ़ही नवा चढ़हे के !
नोनी ल पीठ म धरे हंव ,
घर के बोझा ल बोहे हंव !
फेर कर सकहूं के नही सोंचे हंव ,
करबेच्च करहूं जांघ ल ठोके हंव.....६
इच्छा हे मोरो पढहे के ,
सिच्छा के रद्दा चले के ...........
       " सुखन जोगी "
ग्राम - डोड़की (बिल्हा) जिला - बिलासपुर मो. 8717918364

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