फेस बुक के "छत्तीसगढी मंच" मा "छत्तीसगढ के पागा" नाम से छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता चलत हे । ऐखर दूसरा प्रतियोगिता जउन दिनांक 17/11/15 ले 24/11/15 तक "आतंकवादी" विषय मा आयोजित होइस ओखर जम्मा रचना अइसन हे-
1 श्री नवीन कुमार तिवारी
पहिली रचना
आतंक वादी
पेपर अखबार में देखेव
ब्रेकिंग न्यूज़ में देखेव
आयना में देखेव ,
पानी में घलो धो के देखेव ,\
ऊपर डहीर ले देखेव \
बाहिर जाके देखेव
न लाल ,न हरिहर ,नहीं पिउरी दिखिस
मनखे दिखिस,
सिरतोन बानी,\
हमरेच्च गांव के मनखे दिखिस ,
लोक तंत्र ले भटके दिखिस ,
अपन सोच में जमके दिखिस ,
धरम के गियान ले दूर दिखिस ,
भुलवारे वाले इंसान दिखिस ,
मन भेद के शिकार दिखिस ,
नशा मद में मद मस्त दिखिस
अपन ताकत में मद मस्त दिखिस ,
फेर वो हरे हुए इंसान दिखिस ,
इंसान के वेश म शैतान दिखिस ,
अधपगला होइके भान दिखिस
हिरदय में ओखर हार के डर दिखिस
इकहरे कारन आतंक वादी धिखिस,
आखिर में एक भटके इंसान दिखिस
नवीन कुमार तिवारी ,, 16.11.2015
दूसरइया रचना
आतंकवादी,
आतंकवादी,
आतंक वादी के चरित्तर,
लेवत जी परान बिन गोत बात के
देवत घलो अपन जी प्राण धमाका करिके
कैसे कहिबे तेन्ह गति होए खजरी कुकुर के ,
एला जो देवत हवे पश्रय ?
एला पालत हवे कुकुर बना के
एखर करात बिन बात गौरव गान ,
एला बतावत निर्दोष ,संग सिधवा गतर के
मौत बाँट दहशत फैलात,
अपन गियान ल बड़का बतावत
शांत चमन के नासूर बनावत
पेट के आग ल हथियार बनावत
अध गियान बाँट धरम के दोष बनावत
सिधवा ह्रदय ल कलुषित करावत
अपन सत्ता मोह ल ,
पासा के मोहरा बनावत
वहीच्चा हवे असली दानव राक्षस आतंक वादी
जेखर नई होवत दिन ईमान कुछु खास धरम के
वहीच्च हवे गद्दार देश के ,
वहीच्च हवे अधपगला विचार के ,
एखर नी हवे कुछु ख़ास धरम जी ,
बस ये हा होते आतंक वादी
नवीन कुमार तिवारी ,,,,18.11.2015
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2 श्री मिलन मलरिहा
पहिली रचना
****आतंकवाद****
** ((दोहा))**
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नकसली के बड़ेददा, होथे आतंकवाद।
देसपरदेस ल जाके, करदेथे बरबाद।।
आतंकवाद के पुजारि, दाउद हवय फरार।
छोटा राजन आए अभि, पुलीस के दूवार।।
पाकिसतान पोसत हे, भारत झेलय मार।
नकसली ल बंदुक बाटे, करय ग अतियाचार।।
छत्तीसगढ़ महतारी ल, घेरे नकसलवाद।
नकसली करे काटमार, सिखाए आतंकवाद।।
बीजापुर के कनिहा म, मचाथे ग उतपात।
कोनटा अउ कानकेर, रोवय नवाए माथ।।
अगोरा रहिच दाई ल, सहीद होगे लाल ।
देस-माई बर परान, देहीस बीन-काल ।।
कोख ह उजरगे दाई, घर सून्ना होगे ग।
आखी ह अब सूखागे, आसु सबो ढरगे ग।।
खून छलकत माटि म, जानेकब रुकही ग।
महतारी बर बली अब, कतेक लाल दिही ग।।
आतंकवाद जरि जमाए, भारत माटि म आए।
राकछस इहि नवा जूग, कोन संहार कराए।।
** ((दोहा))**
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नकसली के बड़ेददा, होथे आतंकवाद।
देसपरदेस ल जाके, करदेथे बरबाद।।
आतंकवाद के पुजारि, दाउद हवय फरार।
छोटा राजन आए अभि, पुलीस के दूवार।।
पाकिसतान पोसत हे, भारत झेलय मार।
नकसली ल बंदुक बाटे, करय ग अतियाचार।।
छत्तीसगढ़ महतारी ल, घेरे नकसलवाद।
नकसली करे काटमार, सिखाए आतंकवाद।।
बीजापुर के कनिहा म, मचाथे ग उतपात।
कोनटा अउ कानकेर, रोवय नवाए माथ।।
अगोरा रहिच दाई ल, सहीद होगे लाल ।
देस-माई बर परान, देहीस बीन-काल ।।
कोख ह उजरगे दाई, घर सून्ना होगे ग।
आखी ह अब सूखागे, आसु सबो ढरगे ग।।
खून छलकत माटि म, जानेकब रुकही ग।
महतारी बर बली अब, कतेक लाल दिही ग।।
आतंकवाद जरि जमाए, भारत माटि म आए।
राकछस इहि नवा जूग, कोन संहार कराए।।
-मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर
3 श्री ओमप्रकाश चंदेल
पहिली रचना
कोनों धरम ल नइ जानत हें आतंकवादी।
कोनो भगवान ल नइ मानत हें आतंकवादी।
राजनेता मन संग सांठगांठ करत हें आतंकवादी
नफरत बगरा के राजपाठ करत हें आतंकवादी।
बसे बसाये मनखे ल बेघर करत हें आतंकवादी।
सभ्य समाज ल जतर-कतर करत हें आतंकवादी।
पेरिस, लंदन मा कत्लेआम करत हें आतंकवादी
काश्मीर ल घलो बरबाद करत हें आतंकवादी।
बहत्तर हूर के गोठ बात करत हें आतंकवादी।
नारी अस्मिता ल तारतार करत हें आतंकवादी ।
मानवता ल मेटाये के काम करत हें आतंकवादी।
मुसलमान मन ल बदनाम करत हें आतंकवादी।
isis के झण्डा ल सलाम करत हें आतंकवादी।
भारत ल तको हलाकान करत हें आतंकवादी।
दुनिया बर सैतान के काम करत हें आतंकवादी ।
कोनो भगवान ल नइ मानत हें आतंकवादी।
राजनेता मन संग सांठगांठ करत हें आतंकवादी
नफरत बगरा के राजपाठ करत हें आतंकवादी।
बसे बसाये मनखे ल बेघर करत हें आतंकवादी।
सभ्य समाज ल जतर-कतर करत हें आतंकवादी।
पेरिस, लंदन मा कत्लेआम करत हें आतंकवादी
काश्मीर ल घलो बरबाद करत हें आतंकवादी।
बहत्तर हूर के गोठ बात करत हें आतंकवादी।
नारी अस्मिता ल तारतार करत हें आतंकवादी ।
मानवता ल मेटाये के काम करत हें आतंकवादी।
मुसलमान मन ल बदनाम करत हें आतंकवादी।
isis के झण्डा ल सलाम करत हें आतंकवादी।
भारत ल तको हलाकान करत हें आतंकवादी।
दुनिया बर सैतान के काम करत हें आतंकवादी ।
ओमप्रकाश चन्देल
विनोबा नगर रायगढ
4 श्री राजेश कुमार निषाद
आतंक वादी राज ।।
आतंक वादी मन के दिन हावय भईया
आतंक वादियों के हावय राज।
येकरे सेतिन काहत हंव भईया
आगे हावे आतंकी राज।
कोनो जगर बम फुटत हे
त कोनो जगर होवत हे गोलाबारी।
आज पराये मन मरत हावे
कल आही हमर बारी।
मने मन म गुनत हावंव
कइसे बचाहूँ छत्तीसगढ़ महतारी के लाज।
अत्याचारी बाढ़ गेहे आतंकी मन के आज।
छत्तीसगढ़ के कोना कोना म आतंकवादी मन के भरमार हे।
न जाने येकर मन करा का का हथियार हे।
हमर राज्य के तो कोनो ल फिकर नईये
काबर मंत्री मन चैन से सोवत हे।
तेकरे कारन ये आतंकवादी मन
भ्रष्टाचार के बीज ल बोवत हे।
दिनों दिन बिगड़त हावय सबके काम काज।
काबर आये हावय आतंकवादी मन के राज।
मोरो सपना हावय की एकदिन
मैं राज्य के सिपाही बनहूँ।
अऊ ये आतंकवादी मन ल मार गिराहूँ ।
सब ल रहि मोर ऊपर नाज।
जब मिटा देहूँ मैं आतंकवादी राज।
आतंक वादी मन के दिन हावय भईया
आतंक वादियों के हावय राज।
येकरे सेतिन काहत हंव भईया
आगे हावे आतंकी राज।
कोनो जगर बम फुटत हे
त कोनो जगर होवत हे गोलाबारी।
आज पराये मन मरत हावे
कल आही हमर बारी।
मने मन म गुनत हावंव
कइसे बचाहूँ छत्तीसगढ़ महतारी के लाज।
अत्याचारी बाढ़ गेहे आतंकी मन के आज।
छत्तीसगढ़ के कोना कोना म आतंकवादी मन के भरमार हे।
न जाने येकर मन करा का का हथियार हे।
हमर राज्य के तो कोनो ल फिकर नईये
काबर मंत्री मन चैन से सोवत हे।
तेकरे कारन ये आतंकवादी मन
भ्रष्टाचार के बीज ल बोवत हे।
दिनों दिन बिगड़त हावय सबके काम काज।
काबर आये हावय आतंकवादी मन के राज।
मोरो सपना हावय की एकदिन
मैं राज्य के सिपाही बनहूँ।
अऊ ये आतंकवादी मन ल मार गिराहूँ ।
सब ल रहि मोर ऊपर नाज।
जब मिटा देहूँ मैं आतंकवादी राज।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद( समोदा )
9713872983
9713872983
5 श्री सुनिल शर्मा
""""आतंकवाद"""
आतंकवाद के सेती देखव भुइया लाल होत हे
एखर सेती मनखेपन सुसक-सुसक के रोत हे
नाननान लईका ल लुढहार आतँकी बनात हे
कोंवर-कोंवर हाथ म मउत के समान धरात हे
अ,आ,इ के जघा लईकामन जेहाद सीखत हे
खेले खाय के उमर म आँखी म लहू दिखत हे
७० हूर ,जन्नत के लालच म आतंकी बनजात हे
बिन बिचारे दूसर ल मारे बर खुद ल उड़ात हे
बगदादी,दाऊद,हाफिज इखर आका के नाव हे
कतको दाई के कोरा म इखर पाप के दे घाव हे
दाई ले बेटा,बहिनी ले भाई,लईका ले बाप लूटत हे
दुनियाभर म इखर चेला मउत बाँटत घूमत हे
जाने कहा ले पाथे पइसा आतंक फइलायबर
सिधवा मनखे ल मास के लोथड़ा बनाय बर
जम्मों आँखी म डर हे मनखे निकले म डर्रात हे
फटाका घलो फुटत हे तेन म सब काँप जात हे
आतंकवाद हरय अमरबेल पोसइया ल खात हे
पाकिस्तान, सीरिया सांप पोस के पछतात हे
इस्लाम ल घलो हत्यारा मन बदनाम करत हे
दुनियाभर म मजहबी दंगा के जहर ल घोरतहे
अब समय आगेहे सब मिलके कमर कसबो
हत्यारामन के नास करेबर मिलके आघु बढ़बो
कुलूप अंधियार हारही जब सुरूज कस बरबो
चैन के सांस नइलन एखर जड़मूल नास करबो|
सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
आतंकवाद के सेती देखव भुइया लाल होत हे
एखर सेती मनखेपन सुसक-सुसक के रोत हे
नाननान लईका ल लुढहार आतँकी बनात हे
कोंवर-कोंवर हाथ म मउत के समान धरात हे
अ,आ,इ के जघा लईकामन जेहाद सीखत हे
खेले खाय के उमर म आँखी म लहू दिखत हे
७० हूर ,जन्नत के लालच म आतंकी बनजात हे
बिन बिचारे दूसर ल मारे बर खुद ल उड़ात हे
बगदादी,दाऊद,हाफिज इखर आका के नाव हे
कतको दाई के कोरा म इखर पाप के दे घाव हे
दाई ले बेटा,बहिनी ले भाई,लईका ले बाप लूटत हे
दुनियाभर म इखर चेला मउत बाँटत घूमत हे
जाने कहा ले पाथे पइसा आतंक फइलायबर
सिधवा मनखे ल मास के लोथड़ा बनाय बर
जम्मों आँखी म डर हे मनखे निकले म डर्रात हे
फटाका घलो फुटत हे तेन म सब काँप जात हे
आतंकवाद हरय अमरबेल पोसइया ल खात हे
पाकिस्तान, सीरिया सांप पोस के पछतात हे
इस्लाम ल घलो हत्यारा मन बदनाम करत हे
दुनियाभर म मजहबी दंगा के जहर ल घोरतहे
अब समय आगेहे सब मिलके कमर कसबो
हत्यारामन के नास करेबर मिलके आघु बढ़बो
कुलूप अंधियार हारही जब सुरूज कस बरबो
चैन के सांस नइलन एखर जड़मूल नास करबो|
सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
6 श्री देव हीरा लहरी
छत्तीसगढ़ी हाईकु - आतंकवाद
1) प्रतियोगिता
छत्तीसगढ़ी मंच
करे सम्मान
छत्तीसगढ़ी मंच
करे सम्मान
2) छत्तीसगढ़
भुईयां बनत हे
नक्सल गढ़
भुईयां बनत हे
नक्सल गढ़
3) मोर बस्तर
लहु बहे नदिया
अऊ तरिया
लहु बहे नदिया
अऊ तरिया
4) रोज मरथे
मोर कका भईया
रोथे मईया
मोर कका भईया
रोथे मईया
5) परदेस म
होत हे घोर निंदा
मारय जिंदा
होत हे घोर निंदा
मारय जिंदा
6) देस प्रदेश
लगाये हवे घात
दिन व रात
लगाये हवे घात
दिन व रात
7) आगु आवव
उठा तलवार
कर संहार
उठा तलवार
कर संहार
8) न कोनो जात
पापी अत्याचारी के
मारव लात
पापी अत्याचारी के
मारव लात
9) बनो बघुवा
आतंकवाद मिटा
होके अगुवा
आतंकवाद मिटा
होके अगुवा
10) निकाल डंडा
बनाव तुम सेना
नई सहेना
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देस बिदेस परदेस म
होवत हवय घोर निंदा
ये सारा पापी हत्यारा मन
मारत काटत हवय जिंदा
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रचना - देव हीरा लहरी
चंदखुरी फार्म रायपुर
मोबा :- 9770330338
बनाव तुम सेना
नई सहेना
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देस बिदेस परदेस म
होवत हवय घोर निंदा
ये सारा पापी हत्यारा मन
मारत काटत हवय जिंदा
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रचना - देव हीरा लहरी
चंदखुरी फार्म रायपुर
मोबा :- 9770330338
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