रविवार, 31 जनवरी 2016

पागा कलगी-2//दिनेश देवांगन "दिव्य"

मैय छत्तीसगढ़ के लइका अव, निकले हव भाग सँवारे !
अउ ओला देवत हव सिक्छा, जो जिनगी ले हे हारे !!
जाड़ महीना सुत बिहनिया, नहाथव ठरत पानी मा !
सुरपुट खाथव चटनी बासी, मिरचा आमा चानी मा !!
मुख इसकुल के नई देखेंव, का जानव ए बी सी डी !
पान बनाथव मस्त मगन मय, खाथे जग हैरानी मा !!
आत जात मनखे मन मोला, आँखी ला फार निहारे !
मैय छत्तीसगढ़ के लइका अव, निकले हव भाग सँवारे !!
अउ ओला देवत हव सिक्छा, जो जिनगी ले हे हारे !!
घोर गरीबी घर मा हावय, नई महीनत ले डरथव !
डाहर मा कतको हे बाधा, डाहक डाहक मय बड़थव !!
अँधवा मोर दाई ददा के, मय हव एक श्रवण बेटा !
हसी खुसी दुनिया के जम्मो, ओखर गोड़ तरी धरथव !!
कतका गहला हावय पानी, नई सोचव तरीया पारे !
मैय छत्तीसगढ़ के लइका अव, निकले हव भाग सँवारे !
अउ ओला देवत हव सिक्छा, जो जिनगी ले हे हारे !!
बहिनी मोर जिगर के टुकरा, ऐखर भाग सजाना हे !
काँटा हावय जो जिनगी हा, ओमा फूल खिलाना हे !
तयबेटी अस बेटा बनके, कुल के नाव ला बढ़ाबे !
मोर भरोसा पक्का हावय, देखी काल जमाना हे !
तोर मया बर ऐ जिनगी के, जम्मो सुख ला मय वारे !!
मैय छत्तीसगढ़ के लइका अव, निकले हव भाग सँवारे !
अउ ओला देवत हव सिक्छा, जो जिनगी ले हे हारे !!
दिनेश देवांगन "दिव्य"
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ ( छत्तीसगढ़ )

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