रविवार, 31 जनवरी 2016

पागा कलगी-2// ललित टिकरिहा

""कुलुप अंधियारी रात"""
कुलुप अंधियारी रात
मोर जिनगी म होगे,
झन होवय ककरो साथ
मोर जिनगी म होगे।
सरबस मोर अभी ले लूट गे,
मन के जम्मो सपना टूट गे,
करम ह अइसन मोरो फुट गे,
दाई ददा के कोरा छुट गे,
तरसे बर दिन अउ रात
मोर जिनगी म होगे,
झन होवय ककरो साथ
मोर जिनगी म होगे।
उंच नीच के रद्दा ल बतइया,
नई हे कोनो अब संग देवइया,
कहाँ पाबो मया दुलार भइया,
नई हे कोनो अधार अइसन,
दुःख के पीरा के बरसात
मोर जिनगी म होगे,
झन होवय ककरो साथ
मोर जिनगी म होगे।
बन के मै अब पान बेचइया,
बहिनी तोर करम लिखइया,
मै दुख पीरा के सहइया,
नई होवन दव निरधार
मोर जिनगी म होगे
झन होवय ककरो साथ
मोर जिनगी म होगे।
पीठ ल अपन मै पलना बनाहु,
घाम पियास भले मै पाहू,
तोर बर मै छइंहा बन जाहु,
नई परन दव थोरको आंछ
जेन मोर जिनगी म होगे,
झन होवय ककरो साथ
मोर जिनगी म होगे।
मेहनत हा ये दिन लहुटाहि,
बहिनी तोर सपना ल रचाहि,
मोर पान बरोबर रंग लाही,
तोर ले दुरिहा करिहंव हर बात
जेन मोर जिनगी म होगे,
झन होवय ककरो साथ
मोर जिनगी म होगे।
तोला सजा के सोला श्रृंगार,
मै खोज लाहु तोर राजकुमार,
जे भरहि तोर जिनगी म चमकार,
थोरको नई होवन दय अंधियार
जेन मोर जिनगी म होगे,
झन होवय ककरो साथ
मोर जिनगी म होगे।
कुलुप अंधियारी रात
मोर जिनगी म होगे,
झन होवय ककरो साथ
मोर जिनगी म होगे।
🌑🌑🌑🌑🌑🌑
🌑गीत रचना.....✍🌑
🌑🌑🌑🌑🌑🌑

🙏संगवारी🙏
🙏✏ललित टिकरिहा✏🙏
29-01-16

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