बुधवार, 24 फ़रवरी 2016

पागाकलगी 4//आशा देशमुख


इही सरग के रद्दा असन
इही सरग के रद्दा आसन
धरती म रद्दा बनाबो ग
ऊँच नीच के भेद मिटाके
मया के रीत चलाबो ग
अपन करम म भाग छुपे हे
मेहनत से चमकाबो ग
सुणता से सब हाथ मिलाके
पथरा म गंगा बोहाबो ग
दया धरम रखबो थारी म
सच के चंदना लगाबो ग
हमर देवी धरती दाई ल
लहर लहर लहराबो ग
-आशा देशमुख

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