सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

पागा के कलगी क्र.3/ओमप्रकाश चौहान

🌻बड़ गुरतुर रस के हमर पकुवा हे 🌻
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" किसान अउ पकरिती के जम्मो भरे दुलार हे,
बड़ गुरतुर रस के बनत हमर पकुवा हे।
किसम किसम के कलेवा हम खाएन,
फेर हमर पकुवा के जोड़ कभु नई पाएन।
बाबु खुसियार के हे गुरतुर बने रस,
थोड़िक चाउंरे पिसान ल डारे दे बस।
दुध खोपरा संग मा बने इलाइची मिला देबे,
रस ल बने अउंटत ले अउ खऊला लेबे।
तात तात मा येहर कम मिठाय,
रात रात भर साधे ले मिठास अउ भर आय।
संझा ले रात भर रस के पकुवा बनाएंन,
बिहनिया "कतरा" नाव ऐखर नवा धराएंन।
सुग्घर कोपरा म येला जमा लव,
बिहना सुरपुट सुरपुट तिहाँ 'खा' लव।
खात ले तुंहर दाँत भलेच किनकिना जाहि,
छत्तीसगढ़िया कलेवा तभेच सुरता आहि।
येमा जम्मो हमर मया पिरित ह अउंटे हे,
कतकोमन गुरतुर खाके आज ले नुन ल धरे हे।
ये सब म भुईयाँ के किरपा समोय हे
रस के रंग तभे ले सुग्घर मट मइला हे।
बड़ गुरतुर रस के बनत अइसन हमर कतरा हे,
मोहनी मया कस हमर कलेवा हे।
" बड़ गुरतुर रस के हमर येहर पकुवा हे।"
🌻ओमप्रकाश चौहान🌻
🌻बिलासपुर🌻

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