शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016

पागा कलगी 03 //दिनेश देवांगन "दिव्य"


छत्तीसगढ़ के पागा कलगी क्रमांक - 03 बर गीत
विषय - कलेवा (छत्तीसगढ़ के)
विधा - आल्हा छंद
सुनव सुनाथँव छत्तीसगढ़ी, 
किसम किसम के मय पकवान !
धान कटोरा जेखर भुँइया,
घर घर चांउर सोभयमान !!
घारी चीला अउ चौसेला,
बबरा खाजा कुसली रोंठ !
छतीसगढ़िया सबले बढ़िया,
नई लबारी सत ये गोंठ !!
दाई खाथय ददा खवाथय,
खुरमा कतरा के मिसठान !
सुनव सुनाथँव छत्तीसगढ़ी,
किसम किसम के मय पकवान !
धान कटोरा जेखर भुँइया,
घर घर चांउर सोभयमान !!
गर्भ सातवां बेटी के ता,
कुसली पपची माँ भिजवाय !
तीजा पोरा अउ तिहार मा,
ठेठरि खुरमी सब ला भाय !
खाथे बाबू अउ अधिकारी,
डार मया जब देत किसान !
सुनव सुनाथँव छत्तीसगढ़ी,
किसम किसम के मय पकवान !
धान कटोरा जेखर भुँइया,
घर घर चांउर सोभयमान !!
दूध फरा सावन मा बनथे,
भादों मा ईढर के चाप !
जाड़ महीना चाउंर चीला,
खा चटनी मा आगी ताप !!
बनय छींट के लाडू संगी,
होथे जब जब कन्यादान !!
सुनव सुनाथँव छत्तीसगढ़ी,
किसम किसम के मय पकवान !
धान कटोरा जेखर भुँइया,
घर घर चांउर सोभयमान !!
बरा कहाथे सुख दुख साथी,
छादी या मरनी के भोज !
पितर पाक मा घर घर बनथे,
सरलग बरा पनदरा रोज !!
इही हमर सनसकरिति हावय,
इही हमर हावय पहचान !
सुनव सुनाथँव छत्तीसगढ़ी,
किसम किसम के मय पकवान !
धान कटोरा जेखर भुँइया,
घर घर चांउर सोभयमान !!
दिनेश देवांगन "दिव्य"
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ (छत्तीसगढ़)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें