।सरग पाये बर सिढिया।
कतको कूद ले भूंईया म
ऊंच आगास छुवावय नहीं।
करम सच्चा करे बिना
सरग ह टमरावय नहीं।
जाना हे ऊंचहा जगा तोला
सीढिहा चढहेच ल परही।
मन म राख भरोसा संगी
रसता गढहेच ला परही।।
फूंक फूंक के पांव मढहा ले
एकक सिढिहा चढहत जा।
लहुट झन देख पाछू डाहर
आगु डाहर बढहत जा।।
सरग चढहे के सिढिहा तौर बर
दया धरम अउ सत ईमान।
ईही करम अपनाबे संगी
पाबे सरग अऊ बनबे महान।।
अशोक साहू, भानसोज
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