सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

पागा क्रमांक -3/महेश पांडेय मनु

 बर मोर कबिता
मोर छत्तीसगढ के कलेवा ह अब्बड़ मिठाथे .
हर तिहार औ हर मउसम म नवा नवा आथे .
गुड़हा चीला हरेली के औ पितरपाख के बोबरा .
ठेठरी खुरमी के मजा उडाथे का लइका का डोकरा .
देवारी म घर म बनथे खाजा पिडिया मिठाई .
मां लक्ष्मि म भोग लगाथन लाडू बतासा लाई
होरी के कलेवा घलो मन खूब रंग जमाथे
अरसा देहरौरी ह मुंह म जातेच ही घुर जाथे .
चीला चौसेला के सुवाद इडली सांभर ले बढकर
हथफोड़वा औ फरा के आगे का पिज्जा का बरगर
गोरसी म बने अंगाकर जाने कहां नंदागय
पपची लडुवा बिहाव के घलो कहु बिला गय .
दूधफरा औ रसकतरा के बात कहौ का संगी
ये दुनो ह मोला सिरतोन म तसमई असन
मिठाथे .
मोर छत्तीसगढ के कलेवा ह अब्बड़ मिठाथे
हर तिहार म हर मउसम म नवा नवा आथे 

-
महेश पांडेय मनु

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें