सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

पागा कलगी-३ / नवीन कुमार तिवारी

कलेवा में ख़वाहु चपरा के चटनी 
,हाहाहा
परोसहु मै हा परसापान में महाराज ,
लागही तोला नुनछुर नुनछुर अमटहा महाराज ,
तोर दांत हा करहि किन किन
बने असन मुखारी धर के आबे महाराज
चापरा चटनी बने खाबे महाराज ,
ये हवे हमर बस्तर के कलेवा ,
भूले आबे दंडकारण्य के मड़ई मेला
रीती रिवाज जा भुलवार के ,
खाल्हे राज के चटनी खवाये के
गरीबः भूतवा के कलेवा ,
चपरा बर खोजहु
लाल लाल माटरा,
घामे घाम फुदकहु ,
तपे भोमरा में उछलहुँ
खेत खार खलिहान ,
गौठान,में फिर के
बन बन भटकहु ,
आमा के रुख राई में चढ़ के
फेर चटनी बर
बटोरहू लाल लाल माटा
चपरा के चटनी
गरीबहा के हवे मेवा ,,
तोर बर कलेवा ,
हमर बरमेवा ,
फिर ले बनगवां के हाट में ,
देख ले कैसे माई पिल्ला खावत,
चपरा के लाल लाल चटनी ,
झेन हा खाही चपरा चटनी ,
वहीच्चा हा पतियाही संगी
नवीन कुमार तिवारी ,,,06.02.2016
9479227213,

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