सोमवार, 29 फ़रवरी 2016

पागा कलगी ४//ललित वर्मा, छुरा


🙏भोंदू-भवानी के गोठ🙏
भोंदू: ये सिढिया वाला फोटू ह का हरे ग भईया?
भवानी: ये सरगनिसईनी ताय जी भाई
भोंदू: कईसन भईया,बने फोर के बता न गा
भवानी: ले सुन त-----
बढ़िया करम ल करबे भाई,-२
सरग म तैं चढ़ जाबे
रद्दा ल चलबे मानवता के,
सरग ले उपर जाबे
करम ह तोर गिनहा रखबे त,
नरक म तैं गिर जाबे
अउ कोन जनी फेर कब भाई,
ये मानुस तन ल पाबे
रद्दा चलबे---------
सेवा कर जी दाई-ददा के,
सरवन तैं कहाबे
सत बर जीबे सत बर मरबे त,
ए सिढिया ल पाबे
रद्दा चलबे-------
दीन-दुखी के पीरा हर तैं,
असीस पिरीत कमाबे
दया-मया के बीजा ल बोके,
परमानंद फल खाबे
रद्दा चलबे---------
बढ़िया करम ल करबे भाई,-२
सरग ल तैं चढ़ जाबे,
रद्दा चलबे मानवता के,
सरग ले उपर जाबे
सरग ले उपर जाबे।।
रचना:-ललित वर्मा, छुरा
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें