शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

पागा कलगी 4//अमन चतुर्वेदी "अटल"

विषय - चित्र अधारित 
"सरग निसइनी"
---------------------------------------------
जिनगी के मोर लगे हे दांव
कइसे बढ़ावंव मोर पापी पांव
झूठ लबारी रग रग म बस गेहे
कइसे मिलही मया के छांव
सरग निसइनी के लगे हे आस
फेर कोनो गुन नइ हे मोर पास
दाई ददा ला कभु मानेंव नही
कोनो ला अपन जानेंव नहीं
ये स्वारथ के दुनिया हे
महु भुला गेंव स्वारथ में
दान धरम कभु जानेंव
मर गेंव सकल पदारत में
सरग निसइनी के दिखत हे छांव
फेर माड़ नइ पावत हे मोरो पांव
मैं मुरख हौं अग्य़ानी हौं
जिनगी के मोर लगे हे दांव
-----------------------------------------
रचना -अमन चतुर्वेदी "अटल"
बड़गांव डौंडी लोहारा
बालोद छत्तीसगढ़
मोबा :- 0973045839

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें