बुधवार, 24 फ़रवरी 2016

पागा कलगी - 4 //दिनेश देवांगन "दिव्य"

 चित्राधारित मोर गीत
"कइसे उतरे तोर देउता"
सड़क सूना सरग के हावय, सूना हावय द्वार !
कइसे उतरे तोर देउता, बढ़गे पापाचार !!
राम भरत कस नइये भाई, नई सुदामा मीत !
नइये बेटा अब सरवन कस, होगे अइसे रीत !!
घर घर रावण बइठे हावय, नई राम अवतार !
कइसे उतरे तोर देउता, बढ़गे पापाचार !!
मनखे मनखे होगे दुसमन, पइसा के बस मोल !
हालत देखँव जब धरती के, हिरदय जाथे डोल !!
पेट भरे बर नारी करथे, अपने देह बयापार !
कइसे उतरे तोर देउता, बढ़गे पापाचार !!
लछमी माता गऊँ मात ला, मानय पहिली लोग !
माँस चीर के ओखर तन ले, करथे अब तो भोग !!
माँस खवइया दानव ले अब, भरगे ये सनसार !
कइसे उतरे तोर देउता, बढ़गे पापाचार !!
बेटी बोझ ददा बर होगे, कोख उजारे आज !
पनही समझे पग के ओला, कइसे तोर समाज !!
दाई तोर घलव इक बेटी, मानँव गा उपकार !
कइसे उतरे तोर देउता, बढ़गे पापाचार !!
काट काट के पेट ला अपन, देथें अन्न किसान !
तीपत गरमी अउ जाड़ा मा, करथे कर्म महान !!
आज झूलथे वो हर फाँसी, बना घेंच के हार !
कइसे उतरे तोर देउता, बढ़गे पापाचार !!
सड़क सूना सरग के हावय, सूना हावय द्वार !
कइसे उतरे तोर देउता, बढ़गे पापाचार !!
दिनेश देवांगन "दिव्य"
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
9827123316
9617880643

1 टिप्पणी:

  1. बहुत बढ़िया हस्ताक्षर हमर छत्तीसगढ़ी साहित्य के भाई दिनेश जी.....शानदार रचना

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