रविवार, 17 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8//ज्ञानु मानिकपुरी

~छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-8 बर रचना~
- पानी बिना नइये जिन्दगानी
झन करना तै नादानी
फोकट म बोहके पानी। रे संगवारी....
1 तेल बिना दिया बाती,पानी बिना जिनगी।
चारो कोती दिखय अंधियारी।
इहि सही ऐ नइ कहत हव लबारी।
झन करना तै बेईमानी।
फोकट म बोहाके पानी। रे संगवारी....
2 एक-एक बूँद अमृत आय, इहि मया के गीत आय।
तै सुन लेना बनवाली।
बिन पानी नइ होवय खेती-किसानी।
फोकट म बोहाके पानी।रे संगवारी. .
3 नदी,नरवा,तरिया ह अटागे।
कुआँ, बोरिंग घला सुखागे।
पानी बिन चिरई-चिरगुन् तरसत हे।
गाय-गरवा खार-खार भटकत हे।
जल हे त कल हे, पानी अनमोल हे।
झनकर मानुष तै मनमानी
फोकट म बोहाके पानी।रे संगवारी....
4 जिनगी के तै आधार पानी।
सगा-सोगर बर मया-दुलार पानी।
मनखे- मनखे बर घर परिवार पानी।
पानी के पीरा ल सुन लइका, बूढ़वा जवानी।
तै झन कर न अभिमानी ।
फोकट म बोहाके पानी ।रे संगवारी....
नानकुन प्रयाश करे हव
आप मनके छोटे भाई
ज्ञानु मानिकपुरी 9993240143
चंदेनी कवर्धा (छः ग)

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